PM Narendra Modi 5 फरवरी को प्रयागराज महाकुंभ में शामिल होंगे, जहां वे संगम में पवित्र स्नान करेंगे। इस दौरान वे माघ माह की अष्टमी तिथि को पुण्य काल में त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाएंगे। स्नान के बाद प्रधानमंत्री गंगा के तट पर पूजा करेंगे और देशवासियों की खुशहाली की प्रार्थना करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी 5 फरवरी को सुबह 10 बजे महाकुंभ में पहुंचेंगे, जहां वे अरेल घाट से नाव के जरिए संगम तक जाएंगे। वे करीब एक घंटे तक प्रयागराज में रहेंगे और इसके बाद वापस लौट जाएंगे।
महाकुंभ में प्रधानमंत्री का एक घंटे का कार्यक्रम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महाकुंभ में एक घंटे का कार्यक्रम प्रस्तावित है। वे सुबह 10 बजे बमरोली एयरपोर्ट पर विशेष विमान से पहुंचेंगे। इसके बाद, तीन सेना हेलिकॉप्टरों के जरिए वे डीपीएस मैदान के हैलीपैड तक जाएंगे और वहां से कार द्वारा VIP जेटी तक पहुंचेंगे। जेटी से वे क्रूज के जरिए संगम के तट तक जाएंगे।
संगम में स्नान करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी गंगा की पूजा और आरती करेंगे। इस दौरान वे अखाड़ों, आचार्यवाड़ा, दंडीवाड़ा और खाकचौक के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात करेंगे। इस कार्यक्रम के बाद प्रधानमंत्री मोदी एक घंटे के भीतर वापस लौटेंगे।
महाकुंभ से जुड़ी प्रधानमंत्री की विशेष भावनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाकुंभ के महत्व को समझते हुए हमेशा इससे जुड़ी धार्मिक और सामाजिक घटनाओं में भाग लेते हैं। इस अवसर पर पीएम मोदी ने महाकुंभ के आयोजन को सफल बनाने के लिए 13 दिसंबर 2024 को संगम के तट पर गंगा आरती और पूजा की थी। इससे पहले भी पीएम मोदी 2019 के कुंभ मेला और महाकुंभ के शुरुआत में भी प्रयागराज आए थे।
महाकुंभ के दौरान पीएम मोदी ने हमेशा भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधताओं को महत्व दिया है। पिछले कुंभ 2019 के दौरान, पीएम मोदी ने एक अनोखा संदेश दिया था जब उन्होंने स्वच्छता कर्मियों के प्रति सम्मान जताते हुए उनके पैर धोए थे। यह दृश्य न केवल स्वच्छता कर्मियों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बना था।
2019 में प्रधानमंत्री ने स्वच्छता कर्मियों का सम्मान किया
2019 के कुंभ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता कर्मियों के सम्मान में उनका पैर धोकर एक अभूतपूर्व उदाहरण प्रस्तुत किया था। यह क्षण न केवल स्वच्छता कर्मियों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक अनमोल पल था। उन पांच कर्मचारियों के लिए यह पल बिल्कुल अप्रत्याशित था। जब प्रधानमंत्री मोदी ने उनका सम्मान किया, तो वे सभी न केवल चकित थे, बल्कि उनकी आँखों में आंसू थे। यह दृश्य स्वच्छता कर्मियों और स्वच्छाग्रहीयों के लिए भावनाओं से भरा हुआ था।
प्रधानमंत्री ने तब इस क्षण को अपने जीवन के सबसे अविस्मरणीय पलों में से एक बताया था। प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम सामाजिक समानता और सम्मान का प्रतीक था, जो महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन के दौरान दिए गए एक महत्वपूर्ण संदेश के रूप में सामने आया।
महाकुंभ का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
प्रयागराज महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विविधताओं और धर्मनिरपेक्षता का भी प्रतीक है। महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु अपनी आस्था के साथ शामिल होते हैं और पुण्य प्राप्ति के लिए संगम में स्नान करते हैं। यह मेला भारतीय समाज की धार्मिक एकता, भाईचारे और सामाजिक सद्भाव को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महाकुंभ में भाग लेना और वहाँ स्नान करना, न केवल उनकी धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वे भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति अपनी श्रद्धा रखते हैं। उनके इस कदम से भारतीय जनता को एकजुट करने और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने का संदेश मिलता है।
प्रधानमंत्री मोदी का धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा विभिन्न धार्मिक आयोजनों में भाग लेकर भारतीय संस्कृति और परंपराओं को सम्मान दिया है। महाकुंभ के साथ-साथ उन्होंने गुजरात के सोमनाथ मंदिर, उत्तराखंड के केदारनाथ धाम, और वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर जैसे पवित्र स्थानों पर भी पूजा अर्चना की है। पीएम मोदी का यह आस्था और विश्वास भारतीय जनता के बीच मजबूत पहचान बन चुका है।
महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में उनका हिस्सा लेना न केवल उनका धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि यह देशवासियों के लिए एक प्रेरणा भी है कि वे अपनी आस्थाओं और विश्वासों के प्रति सम्मान और श्रद्धा रखें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महाकुंभ में भाग लेना न केवल उनकी धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय समाज की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक एकता का संदेश भी है। उनके इस कदम से यह साबित होता है कि धर्म, समाज और राजनीति के बीच एक संतुलन स्थापित किया जा सकता है, जो सभी धर्मों और समुदायों के बीच आपसी सम्मान और सहयोग की भावना को बढ़ावा दे।
महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों में प्रधानमंत्री का हिस्सा लेना उनके नेतृत्व और देश के प्रति उनके योगदान की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह संदेश देता है कि हम सभी को अपने धर्म, संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करना चाहिए, ताकि हम एकजुट होकर देश को विकास की दिशा में आगे बढ़ा सकें।