Karnataka Assembly अध्यक्ष यू.टी. खादर ने एक अनोखा निर्णय लिया है, जिससे विधायकों को लंच के बाद विश्राम करने की सुविधा मिलेगी। विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले, उन्होंने घोषणा की कि 15 रिक्लाइनर कुर्सियां किराए पर ली जाएंगी, ताकि राज्य के विधायक भोजन के बाद कुछ समय के लिए झपकी ले सकें।
विधायकों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए उठाया कदम
अध्यक्ष यू.टी. खादर ने कहा कि यह कदम विधानसभा सत्र में विधायकों और विधान परिषद सदस्यों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए उठाया गया है। उन्होंने बताया कि अक्सर विधायक भोजन के बाद विधान सौधा (राज्य विधानसभा भवन) छोड़कर चले जाते हैं और फिर दोबारा सत्र में भाग नहीं लेते। इस समस्या का समाधान करने के लिए उन्हें यह उपाय सूझा।
कुर्सियां खरीदने की बजाय किराए पर ली जाएंगी
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, खादर ने कहा, “विधायकों की अनुपस्थिति रोकने के लिए मैंने विधानसभा लॉबी में कम से कम 15 रिक्लाइनर किराए पर लेने और उन्हें स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस तरह, विधायक एक छोटी सी झपकी लेकर फिर से सदन की कार्यवाही में शामिल हो सकते हैं।”
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि इन कुर्सियों को खरीदने की बजाय किराए पर लिया जाएगा, ताकि सरकारी धन का दुरुपयोग न हो। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विधानसभा सत्र समाप्त होने के बाद इन कुर्सियों को हटा दिया जाएगा।
विधायकों को मिलेगा मुफ्त नाश्ता और भोजन
विधानसभा अध्यक्ष ने यह भी बताया कि विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के लिए मुफ्त नाश्ते और दोपहर के भोजन की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा, “अगर वे बाहर नाश्ते का इंतजार करते हैं तो उन्हें विधानसभा पहुंचने में देर हो जाती है, और अगर वे दोपहर के भोजन के लिए विधान सौधा से बाहर जाते हैं, तो लौटने में अधिक समय लगता है। लेकिन इस पहल के बाद, अब ऐसी कोई समस्या नहीं होगी।”
विधानसभा सत्र और पुस्तक मेले का आयोजन
इस बीच, विधानसभा सचिवालय ने 28 फरवरी से 3 मार्च तक विधान सौधा में एक पुस्तक मेले का भी आयोजन किया है। इस दौरान, कई किताबों का विमोचन और पैनल चर्चाएं आयोजित की जाएंगी।
इसके अलावा, कर्नाटक विधानसभा का बजट सत्र 3 मार्च से शुरू होगा और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया 7 मार्च को राज्य का बजट पेश करेंगे।
विपक्ष ने किया आलोचना
हालांकि, इस फैसले पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं। कुछ नेताओं ने इसे सरकारी धन का अनुचित उपयोग बताया, जबकि कुछ ने इसे विधायकों की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए एक अच्छा कदम बताया।
कर्नाटक विधानसभा में विधायकों की उपस्थिति बढ़ाने और उन्हें बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए यह पहल की गई है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि इस नई व्यवस्था का क्या प्रभाव पड़ता है और क्या इससे विधानसभा की कार्यवाही में सुधार आता है या नहीं।