Manipur में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद से स्थिति में धीरे-धीरे सुधार देखा जा रहा है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में जातीय हिंसा और आतंकवाद ने न केवल लोगों का जीवन अस्तव्यस्त कर दिया था, बल्कि कानून व्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई थी। हालांकि, राष्ट्रपति शासन के लागू होने के बाद सुरक्षा बलों और पुलिस द्वारा किए गए कड़े कदमों ने स्थिति को नियंत्रित करने में मदद की है। हाल ही में मणिपुर के पांच जिलों में 42 आग्नेयास्त्र और कारतूस जमा किए गए हैं, जो इस बात का संकेत है कि वहां की स्थिति में सुधार हो रहा है। आइए जानते हैं मणिपुर में हालात को सामान्य करने के लिए उठाए गए कदमों और हथियारों के जमा होने की प्रक्रिया के बारे में।
मणिपुर में हिंसा और जातीय संघर्ष
मणिपुर में मई 2023 में जातीय हिंसा भड़क उठी थी, जब मेइती और कुकी समुदायों के बीच संघर्ष शुरू हुआ। इस संघर्ष में अब तक 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जबकि हजारों लोग अपनी ज़मीन से बेघर हो गए हैं। यह हिंसा 22 महीनों से जारी है और इसके कारण राज्य में स्थिरता की स्थिति बिगड़ गई थी। हिंसा की बढ़ती लहर और अपराधों ने राज्य में बहुत ही चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी थी।
राष्ट्रपति शासन का प्रभाव और पुलिस कार्रवाई
13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था, जिसके बाद राज्य में स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सुरक्षा बलों ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। मणिपुर के गवर्नर, अजय कुमार भल्ला ने 20 फरवरी को हिंसा में शामिल समूहों से सभी लूटे गए और अवैध हथियारों को जमा करने का आदेश दिया था। उन्हें सात दिन की अवधि दी गई थी, जिसके तहत सभी अवैध हथियार और कारतूस को पुलिस के पास जमा किया जाना था। इस आदेश का पालन करते हुए, मणिपुर के लोगों ने अपने हथियार जमा करना शुरू कर दिया।
पांच जिलों में जमा हुए हथियार
मणिपुर पुलिस और सुरक्षा बलों ने इम्फाल पश्चिम और पूर्व, चुराचंदपुर, बिष्णुपुर और तामेंगलोंग जिलों में 42 हथियार और कारतूस जमा किए हैं। बिष्णुपुर जिले में 5 हथियार, जिसमें दो पिस्टल, छह हैंड ग्रेनेड और 75 से अधिक कारतूस जमा किए गए। तामेंगलोंग जिले के काइमाई पुलिस स्टेशन में 17 देशी बनी हुई बंदूकें, 9 पाम्पी और कारतूस जमा किए गए। इसके अलावा, चुराचंदपुर और लमसांग पुलिस स्टेशन में 10 हथियार और कारतूस जमा किए गए हैं। यह कदम राज्य के लोगों को हिंसा के उग्र रूप से रोकने और शांति स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
अवैध बंकरों की तबाही
सुरक्षा बलों ने अवैध बंकरों के खिलाफ भी कार्रवाई की। उन्होंने दो अवैध बंकरों को कंगपोकपी जिले के मार्क हिल और वाकन हिल क्षेत्र में नष्ट किया। इससे यह साबित होता है कि राज्य के पुलिस और सुरक्षा बल अवैध गतिविधियों को समाप्त करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। इन अवैध बंकरों से हिंसा और अपराधों को बढ़ावा मिल रहा था, और इनकी तबाही से राज्य में कानून-व्यवस्था को बहाल करने में मदद मिल रही है।
खोजी अभियान और हथियारों की बरामदगी
इम्फाल पश्चिम जिले के सैरमखुल क्षेत्र में सुरक्षा बलों ने एक बड़ी खोजी अभियान चलाया। इस अभियान के दौरान, पुलिस और सुरक्षा बलों ने एक INSAS LMG, AK-56 राइफल, तीन SLR राइफल, 9 मिमी कार्बाइन, .303 राइफल, DBBL गन, चार ग्रेनेड (जो डिटोनेटर से रहित थे), एक चीनी हैंड ग्रेनेड और अन्य महत्वपूर्ण सामान जब्त किए। इस अभियान से यह स्पष्ट होता है कि राज्य में आतंकवादियों और हिंसक समूहों के पास बड़ी मात्रा में हथियार और विस्फोटक सामग्री मौजूद थीं। इन सामग्रियों की जब्ती से हिंसा के खतरे को कम करने में सहायता मिली है।
गवर्नर द्वारा समय सीमा बढ़ाना
चूंकि इम्फाल घाटी और पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने हथियार जमा करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की थी, मणिपुर के गवर्नर ने इस समय सीमा को 6 मार्च तक बढ़ा दिया। इस कदम से यह सुनिश्चित किया गया है कि सभी लोग अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए हथियारों को जमा करें और राज्य में स्थिरता बनाए रखने में मदद करें। अब तक, सात दिनों के भीतर 300 से अधिक आग्नेयास्त्र और कारतूस जमा किए जा चुके हैं, जो स्थिति में सुधार के संकेत हैं।
मणिपुर में शांति और स्थिरता की दिशा में उम्मीद
राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद से मणिपुर में स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। मणिपुर सरकार और सुरक्षा बलों की ओर से किए गए उपायों और अभियानों ने हिंसा को नियंत्रित करने में मदद की है। यह भी उम्मीद की जा रही है कि राज्य में शांति की स्थिति बहाल होगी और लोग फिर से अपने घरों में लौटने में सक्षम होंगे।
इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे और राष्ट्रपति शासन के लागू होने के बाद राज्य में शांति बहाली की प्रक्रिया तेज़ हुई है। सरकार की ओर से उठाए गए कदमों से यह उम्मीद जताई जा रही है कि राज्य में रहने वाले विभिन्न समुदायों के बीच संबंधों को सुधारने में मदद मिलेगी और हिंसा के बजाय विकास और समृद्धि की दिशा में काम किया जाएगा।
मणिपुर में जातीय हिंसा और संघर्ष की स्थिति अब नियंत्रण में आ रही है। राष्ट्रपति शासन, पुलिस और सुरक्षा बलों की मुहिम और लोगों के सहयोग से राज्य में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। 300 से अधिक हथियारों का जमा होना और अवैध बंकरों का नष्ट होना इस बात का संकेत है कि मणिपुर में शांति बहाली की प्रक्रिया में सफलता मिल रही है। अब सभी की कोशिश यह है कि मणिपुर को फिर से एक शांतिपूर्ण और समृद्ध राज्य बनाया जाए, जहां लोग अपने घरों में सुरक्षित और खुशहाल तरीके से रह सकें।