Delhi High Court का बड़ा फैसला: आतंक फंडिंग मामले में जेल में बंद MP अब संसद सत्र में होंगे शामिल!

Delhi High Court का बड़ा फैसला: आतंक फंडिंग मामले में जेल में बंद MP अब संसद सत्र में होंगे शामिल!

Delhi High Court ने जम्मू-कश्मीर के बारामूला लोकसभा सीट से सांसद अब्दुल रशीद शेख को संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति दे दी है। वह 2017 के आतंकी फंडिंग मामले में जेल में बंद हैं। अदालत ने निर्देश दिया है कि वह “कस्टडी” में रहते हुए संसद की कार्यवाही में भाग लेंगे।

जस्टिस चंद्रधारी सिंह और अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने आदेश दिया कि दिल्ली पुलिस के अधिकारी इंजीनियर रशीद को प्रतिदिन संसद भवन लेकर जाएंगे और कार्यवाही समाप्त होने के बाद उन्हें वापस जेल ले जाया जाएगा। यह व्यवस्था 26 मार्च से 4 अप्रैल 2025 तक लागू रहेगी।

मोबाइल फोन और मीडिया से संपर्क पर रोक

Delhi High Court ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब्दुल रशीद शेख को संसद में रहते हुए मोबाइल फोन, लैंडलाइन का उपयोग करने या मीडिया से बातचीत करने की अनुमति नहीं होगी। अदालत ने कहा कि रशीद को केवल संसद की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति है, लेकिन वह किसी अन्य गतिविधि में शामिल नहीं हो सकते।

दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश:

  • पुलिस कस्टडी में संसद ले जाया जाएगा।

  • संसद कार्यवाही के बाद वापस जेल भेजा जाएगा।

  • मोबाइल फोन और मीडिया से संपर्क पर पूरी पाबंदी।

आतंकी फंडिंग मामले में बंद हैं रशीद

अब्दुल रशीद शेख, जिन्हें इंजीनियर रशीद के नाम से भी जाना जाता है, जम्मू-कश्मीर के बारामूला से लोकसभा सांसद हैं। वह 2017 के आतंकी फंडिंग मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मुकदमे का सामना कर रहे हैं।

Delhi High Court का बड़ा फैसला: आतंक फंडिंग मामले में जेल में बंद MP अब संसद सत्र में होंगे शामिल!

उन पर पाकिस्तान से टेरर फंडिंग लेने का आरोप है। जांच एजेंसियों के मुताबिक, रशीद ने कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए हवाला के जरिए फंड प्राप्त किया था।

संसद में भाग लेने के लिए मांगी थी बेल

अब्दुल रशीद ने संसद सत्र में भाग लेने के लिए अंतरिम जमानत या कस्टडी पैरोल की मांग की थी, जिसे निचली अदालत ने 10 मार्च को खारिज कर दिया था। इसके बाद उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया।

हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए उन्हें कस्टडी में रहते हुए संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति दे दी। हालांकि, अदालत ने रशीद को संसद के बाहर किसी भी गतिविधि में शामिल होने की इजाजत नहीं दी है।

अवामी इत्तेहाद पार्टी ने फैसले का स्वागत किया

अब्दुल रशीद शेख की पार्टी अवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP) ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। पार्टी प्रवक्ता इनाम उन नबी ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “लोकतंत्र की बड़ी जीत! दिल्ली हाईकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के सांसद इंजीनियर रशीद को 18वीं लोकसभा के चौथे सत्र (26 मार्च-4 अप्रैल 2025) के दूसरे चरण में कस्टडी में संसद में भाग लेने की अनुमति दी। तमाम बाधाओं के बावजूद, उत्तर कश्मीर की आवाज संसद में गूंजेगी।”

इंजीनियर रशीद: अलगाववादी नेता से सांसद तक का सफर

अब्दुल रशीद शेख, जिन्हें इंजीनियर रशीद के नाम से जाना जाता है, एक कश्मीरी अलगाववादी नेता रहे हैं। वह अवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP) के प्रमुख हैं। रशीद ने 2019 में जम्मू-कश्मीर की बारामूला लोकसभा सीट से चुनाव जीता था।

चुनाव जीतने के बाद उन्हें आतंकवादी फंडिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि, विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें अंतरिम जमानत दी गई थी, ताकि वह प्रचार कर सकें। अब, संसद सत्र में भाग लेने के लिए उन्हें दोबारा अदालत से अनुमति लेनी पड़ी।

संसद में रशीद की मौजूदगी पर राजनीतिक घमासान

अब्दुल रशीद शेख को संसद में कस्टडी में भाग लेने की अनुमति मिलने के बाद सियासी घमासान मच गया है। भाजपा ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि आतंकवादी फंडिंग के आरोपी को संसद में भाग लेने की अनुमति देना गलत है।

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “यह न्यायिक व्यवस्था का दुरुपयोग है। जो व्यक्ति आतंकवादी फंडिंग मामले में आरोपी है, उसे संसद में आने का अधिकार नहीं मिलना चाहिए।”

वहीं, कांग्रेस ने अदालत के फैसले का समर्थन किया। कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा, “चुनाव में जनता ने उन्हें चुना है, इसलिए संसद में भाग लेना उनका अधिकार है। अदालत का फैसला न्यायसंगत है।”

क्या है UAPA मामला?

2017 में, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अब्दुल रशीद शेख पर आतंकी फंडिंग का मामला दर्ज किया था। आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से फंड लेकर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दिया।

NIA के अनुसार, रशीद ने आतंकवादी गतिविधियों के लिए हवाला के जरिए पैसा प्राप्त किया। उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

विश्लेषण: क्या है राजनीतिक मायने?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अदालत का यह फैसला जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक हलचल बढ़ा सकता है। अब्दुल रशीद शेख की संसद में मौजूदगी से अलगाववादी समर्थकों को मजबूती मिल सकती है।

हालांकि, भाजपा और अन्य राष्ट्रीय दल इसे आतंक समर्थक विचारधारा का समर्थन मानते हैं। संसद में रशीद की मौजूदगी को लेकर राजनीतिक विवाद तेज हो सकता है।

दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब्दुल रशीद शेख को संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति मिल गई है, लेकिन वह कस्टडी में रहकर ही कार्यवाही में शामिल होंगे। हालांकि, वह मोबाइल फोन का इस्तेमाल या मीडिया से संपर्क नहीं कर सकेंगे।

यह फैसला लोकतंत्र की प्रक्रिया का सम्मान करने वाला है, लेकिन इससे राजनीतिक विवाद भी बढ़ सकता है। अब देखना होगा कि संसद में उनकी मौजूदगी को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष में क्या बयानबाजी होती है।