Bihar News: RJD नेता तेजस्वी यादव 15 अप्रैल को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलने वाले हैं और बिहार में राजनीतिक तापमान पहले से ही बढ़ रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव में अभी 6 से 8 महीने बाकी हैं, ऐसे में इस मुलाकात ने राजनीतिक पर्यवेक्षकों का ध्यान खींचा है। आधिकारिक तौर पर इसे “औपचारिक बैठक” कहा जा रहा है, लेकिन इस बात की प्रबल अटकलें हैं कि प्रमुख गठबंधन की रणनीति, खासकर महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर, चर्चा हो सकती है।
सबसे पुराने सहयोगी दल से बातचीत
RJD सांसद मनोज झा ने पुष्टि की कि यह बैठक औपचारिक है, लेकिन उन्होंने यह भी संकेत दिया कि इसमें बिहार के राजनीतिक परिदृश्य के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि RJD कांग्रेस की सबसे पुरानी सहयोगी रही है और चुनावों के दौरान इस तरह की चर्चाएं स्वाभाविक हैं। उनके अनुसार, इसका उद्देश्य राजनीतिक परिदृश्य का आकलन करना और उसके अनुसार तैयारी करना है। बिहार के महागठबंधन गठबंधन पर एकता बनाए रखने का दबाव है, ऐसे में दोनों दल किसी भी तरह की दरार को जल्दी से जल्दी दूर करने के लिए उत्सुक हैं।
#WATCH दिल्ली: राजद नेता तेजस्वी यादव की कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात पर राजद सांसद मनोज झा ने कहा, "यह एक औपचारिक बैठक है। कांग्रेस पार्टी के सहयोगियों पर नजर डालें तो RJD अब तक की सबसे पुरानी सहयोगी रही है। इस औपचारिक बैठक में पूरे परिदृश्य पर चर्चा होगी। यह… pic.twitter.com/gJmrIgLFvB
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 14, 2025
सीट बंटवारा एक प्रमुख मुद्दा हो सकता है
इस बैठक में सबसे बड़ी चर्चा सीटों के बंटवारे के फार्मूले पर होने की उम्मीद है। तेजस्वी यादव गठबंधन के सहयोगियों, खासकर RJD और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप देने पर जोर दे सकते हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि चर्चा के दौरान गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर भी फैसला हो सकता है। नेतृत्व की भूमिकाओं और प्रतिनिधित्व को लेकर गठबंधन में पिछले तनाव को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है। अगर जल्दी सहमति बन जाती है, तो यह भविष्य में दरार को रोक सकता है और एक मजबूत अभियान बनाने में मदद कर सकता है।
सीटों की संख्या को लेकर पहले से ही तनाव बना हुआ है
औपचारिक बातचीत से पहले ही गठबंधन के भीतर संकट पनपता दिख रहा है। कांग्रेस ने 2020 के चुनावों में अपने प्रदर्शन और पिछली भागीदारी का हवाला देते हुए साफ कर दिया है कि वह 70 सीटों से कम पर समझौता नहीं करेगी। उनका तर्क है कि चूंकि उन्होंने तब 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, इसलिए अब भी उतना ही या उससे बेहतर सौदा पेश किया जाना चाहिए। वामपंथी दल भी 50 से 60 सीटों की मांग कर रहे हैं। इस बीच, कथित तौर पर राजद 180 से 190 सीटों पर खुद चुनाव लड़ना चाहता है, जिससे संतुलन बनाना मुश्किल हो रहा है। समीकरण को और मजबूत करने के लिए वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी भी करीब 60 सीटों पर दावा ठोक रहे हैं।
ऐसी परस्पर विरोधी मांगों के साथ तेजस्वी यादव की खड़गे के साथ बैठक एक महत्वपूर्ण समय पर हुई है। हालांकि आधिकारिक लहजा कूटनीतिक बना हुआ है, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह बैठक बिहार में महागठबंधन के भविष्य के स्वरूप को तय कर सकती है। क्या इससे आम सहमति बनती है या आगे विवाद बढ़ता है, यह तो देखना बाकी है, लेकिन एक बात तय है – सभी की निगाहें इस उच्च-दांव वाली राजनीतिक बैठक पर होंगी।