Waqf Board amendment: देश के सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ बोर्ड कानून में हुए हालिया संशोधन को लेकर सभी पक्षों की याचिकाओं को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से सात दिन के भीतर जवाब मांगा है। इसके साथ ही अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि जब तक अगला आदेश न आए तब तक वक्फ बोर्ड में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी। याचिकाकर्ताओं को भी निर्देश दिया गया है कि वे केंद्र सरकार के जवाब के पांच दिन बाद अपना पक्ष रखें। कोर्ट के इस आदेश के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल बढ़ गई है।
कोर्ट का आदेश और सुनवाई की अंदरूनी जानकारी
अदालत में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वक्फ कानून में संशोधन के तहत फिलहाल कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। वकील वरुण कुमार सिन्हा ने जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट ने इस संशोधन पर फिलहाल रोक नहीं लगाई है। कोर्ट ने यह जरूर स्पष्ट किया है कि सरकार वक्फ-बाय-यूज़र के तहत पंजीकृत और गजट में प्रकाशित संपत्तियों को अगली सुनवाई तक डीनोटिफाई नहीं कर सकती। हालांकि अन्य संपत्तियों पर सरकार कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि संसद द्वारा पारित कानून पर अदालत रोक नहीं लगा सकती और वे रोजाना सुनवाई के लिए तैयार हैं। कोर्ट ने इस मुद्दे को 5 मई को सूचीबद्ध किया है और उसी दिन से सुनवाई शुरू होगी।
#WaqfAmendmentBill 1/3 Deeply disturbing that the Hon'ble @indSupremeCourt, in the Waqf matter, appears to be acting as an extra-parliamentary authority. This overreach not only raises constitutional concerns but risks undermining the spirit of democratic separation of powers.
— Dr Rahul Srivastava (@drrahulsri) April 17, 2025
कोर्ट के आदेश पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर जनता की तरफ से मिलीजुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कुछ लोगों ने इसे न्यायिक दखलंदाजी बताते हुए सवाल उठाया कि क्या सुप्रीम कोर्ट संसद से भी ऊपर है। उनका कहना है कि अगर संसद कोई कानून पारित करती है तो अदालत उसमें हस्तक्षेप कैसे कर सकती है। वहीं कुछ लोगों ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह जरूरी था कि वक्फ बोर्ड कानून में हुए बदलावों की न्यायिक समीक्षा हो ताकि किसी भी पक्ष के साथ अन्याय न हो। खास तौर पर वक्फ की संपत्तियों को लेकर समाज में पहले से ही कई विवाद और भ्रम की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप राहत का कारण बन सकता है।
#WATCH | Delhi | On SC hearing on Waqf Amendment Act, Advocate Barun Kumar Sinha says, "The Supreme Court didn't put a stay. The Solicitor General of India said that no appointment will be made either in the council or in the board under the new amendment act. The Supreme Court… pic.twitter.com/lRpBPgojgz
— ANI (@ANI) April 17, 2025
सोशल मीडिया पर उठे सवाल और नाराजगी
इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर भी चर्चा तेज हो गई है। कुछ यूज़र्स ने सवाल उठाया कि जब कोर्ट में पहले से ही लाखों मामले लंबित हैं तो फिर वक्फ एक्ट जैसे विषयों पर इतनी तेज़ी से सुनवाई क्यों हो रही है। एक यूज़र ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि न्यायालय को पहले उन मामलों की सुनवाई करनी चाहिए जो वर्षों से लंबित हैं। एक अन्य यूज़र ने कोर्ट की तत्परता पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह संवेदनशील विषय है लेकिन इसकी इतनी प्राथमिकता देना बाकी मामलों के साथ अन्याय है। वहीं कुछ यूज़र्स ने यह भी लिखा कि अगर कोई कानून किसी समुदाय के अधिकारों को प्रभावित कर रहा है तो उसकी त्वरित सुनवाई होनी ही चाहिए।