बिहार के दरभंगा जिले की एक अदालत ने शुक्रवार को BJP विधायक Mishrilal Yadav और उनके सहयोगी को 2019 के एक हमले के मामले में तीन महीने की जेल की सजा सुनाई। विशेष MP/MLA कोर्ट के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुमन कुमार दिवाकर ने विधायक की राहत की याचिका को खारिज कर दिया और तुरंत जेल भेजने का आदेश दिया। फरवरी 2025 में अदालत ने दोनों को जानबूझकर चोट पहुंचाने के आरोप में सजा सुनाई थी लेकिन विधायक ने इसके खिलाफ अपील की थी। अदालत ने अब अपील को खारिज कर दिया और दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
तीन महीने की जेल और 500 रुपये का जुर्माना
असिस्टेंट पब्लिक प्रॉसिक्यूटर रेनू झा ने बताया कि अदालत ने विधायक Mishrilal Yadav और उनके सहयोगी सुरेश यादव को तीन महीने जेल की सजा और 500 रुपये जुर्माने का आदेश दिया था। दोनों पर यह आरोप था कि उन्होंने 29 जनवरी 2019 को उमेश मिश्रा नामक व्यक्ति को चोट पहुंचाई थी। इस मामले की अगली सुनवाई 27 मई को होगी। अदालत के फैसले के बाद दोनों को तुरंत जेल भेज दिया गया और जुर्माना भी लगाया गया। अदालत के बाहर विधायक ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने फरवरी के फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी लेकिन अदालत ने आज इसे खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि वह अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं।
दया याचिका पर सुनवाई नहीं हुई
विशेष न्यायाधीश सह अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी करूणा निधि प्रसाद आर्य ने फरवरी में दोनों को सजा सुनाई थी। आरोप था कि विधायक और उनके सहयोगियों ने उमेश मिश्रा पर हमला किया था। शिकायतकर्ता उमेश मिश्रा ने अपनी शिकायत में कहा था कि विधायक और उनके साथी उनके घर के बाहर उन पर हमला कर पैसा छीन ले गए थे। गुरुवार को अदालत में विधायक की दया याचिका पर सुनवाई नहीं हुई और अदालत ने सीधे उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दे दिया। विधायक ने कहा कि वे अदालत का सम्मान करते हैं और अब कानूनी प्रक्रिया का पालन करेंगे।
क्या था मामला और क्या आगे होगा
यह मामला 29 जनवरी 2019 का है जब दरभंगा के रैयाम थाना क्षेत्र के समैला गांव में उमेश मिश्रा पर हमला हुआ था। आरोप है कि विधायक और उनके साथी ने मिलकर उमेश मिश्रा से मारपीट की और पैसे भी छीन लिए। इस मामले में अदालत ने फरवरी 2025 में सजा सुनाई थी लेकिन विधायक ने इसके खिलाफ अपील कर रखी थी। अब अदालत ने अपील खारिज कर दी है और दोनों को जेल भेज दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 27 मई को होगी जहां इस फैसले पर आगे की कानूनी प्रक्रिया तय होगी। इस फैसले के बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है क्योंकि विधायक सत्ताधारी पार्टी से ताल्लुक रखते हैं और उनके जेल जाने को लेकर राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं।