Dangerous Technology: आज के दौर में तकनीक ने हमारे जीवन को बहुत आसान बना दिया है। बीसवीं सदी से लेकर अब तक तकनीक ने हर क्षेत्र में बदलाव लाया है। लोग इसे फायदा मानते हैं इसलिए दुनिया भर में तकनीकी निवेश बढ़ता जा रहा है। लेकिन इसके साथ ही यह भी सच है कि अगर तकनीक का गलत इस्तेमाल हो तो यह हमारी निजता, आज़ादी और नागरिक अधिकारों के लिए बड़ा खतरा बन सकती है। आइए जानते हैं पांच ऐसी खतरनाक तकनीकों के बारे में जो भविष्य में चिंता का विषय बन सकती हैं।
फेसियल रिकग्निशन और स्मार्ट ड्रोन: निगरानी या खतरा?
फेसियल रिकग्निशन तकनीक कई जगहों पर सुरक्षा के लिए बहुत मददगार साबित हो रही है। यह तकनीक चेहरे की बनावट, उंगलियों के निशान और इशारों के जरिए हमारी पहचान करती है। लेकिन इसका दुरुपयोग भी हो रहा है। चीन में इस तकनीक का इस्तेमाल मुसलमान समुदाय की निगरानी के लिए किया जा रहा है। रूस में भी सड़कों पर लगे कैमरे खास लोगों की पहचान करते हैं। इस तकनीक से जुड़े डेटा का गलत इस्तेमाल हमारी निजता के लिए बड़ा खतरा है। वहीं स्मार्ट ड्रोन पहले मनोरंजन के लिए इस्तेमाल होते थे, अब युद्ध में भी इनका इस्तेमाल हो रहा है। ये ड्रोन खुद निर्णय ले सकते हैं और मिशन को पूरा करते हैं। लेकिन अगर तकनीकी गड़बड़ी हो तो ये निर्दोष लोगों को भी निशाना बना सकते हैं, जिससे युद्ध के दौरान गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है।
एआई क्लोनिंग और डीपफेक: सच और झूठ की पहचान मुश्किल
आज एआई की मदद से किसी की आवाज़ या तस्वीर की नक़ल करना आसान हो गया है। केवल कुछ सेकंड की आवाज़ लेकर एआई एक ऐसा वीडियो बना सकता है जो असली जैसा दिखता है। डीपफेक तकनीक में मशीन लर्निंग और फेस मैपिंग का उपयोग करके ऐसे वीडियो बनाए जाते हैं जिनमें व्यक्ति ऐसा बोलता नजर आता है जो उसने कभी कहा ही नहीं। इस तकनीक का इस्तेमाल धोखाधड़ी, ब्लैकमेलिंग और अफवाहें फैलाने में हो सकता है। इससे लोगों की साख और समाज में विश्वास की भावना पर गहरा असर पड़ता है।
फेक न्यूज बोट्स और स्मार्ट डस्ट: लोकतंत्र और निजता पर खतरा
फेक न्यूज बोट्स अब एआई की मदद से सिर्फ एक हेडलाइन पढ़कर पूरी झूठी खबर तैयार कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, ग्रोवर जैसे सिस्टम पूरी झूठी खबर बना सकते हैं जो असली दिखती है। हालांकि इसे गलत इस्तेमाल से बचाने के लिए इन बोट्स का कोड सार्वजनिक नहीं किया गया है। लेकिन अगर यह तकनीक गलत हाथों में चली गई तो यह लोकतंत्र और सामाजिक स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बन सकती है। दूसरी ओर, स्मार्ट डस्ट नाम की माइक्रोइलेक्ट्रोमैकेनिकल सिस्टम्स (MEMS) इतनी छोटी होती हैं कि ये नमक के दाने जैसी लगती हैं। इनमें कैमरे और सेंसर लगे होते हैं जो डेटा रिकॉर्ड कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल स्वास्थ्य और सुरक्षा में लाभकारी हो सकता है लेकिन अगर यह निगरानी या जासूसी में लग गई तो यह निजी जिंदगी के लिए घातक साबित होगी।
टेक्नोलॉजी ने हमारे जीवन को बेहतर बनाया है लेकिन इसके साथ सावधानी भी जरूरी है। अगर तकनीकी विकास के साथ सही नियम और कड़े कानून नहीं बनाए गए तो यह हमारी निजता, स्वतंत्रता और समाज की स्थिरता को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए तकनीक के फायदे और खतरों दोनों को समझना और जागरूक रहना बहुत जरूरी है। आने वाले समय में हमें तकनीक का सही और सुरक्षित उपयोग सुनिश्चित करना होगा ताकि यह हमारी सुरक्षा का जरिया बने न कि खतरे का।