Phalguna 2025: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन माह हिंदू वर्ष का अंतिम माह होता है, जिसके बाद चैत्र माह आता है और हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इस महीने में कई महत्वपूर्ण तिथियाँ और त्योहार होते हैं, जिनमें महाशिवरात्रि, होली जैसे प्रमुख धार्मिक पर्व शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, इस माह में कुछ विशेष शुभ मुहूर्त भी होते हैं, जिनमें लोग गृह प्रवेश, विवाह जैसे धार्मिक और सामाजिक कार्य करते हैं। इस महीने की तिथियों पर पूजा-पाठ करने से विशेष लाभ और शुभ परिणाम की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कि फाल्गुन माह कब से शुरू हो रहा है और इस माह में कौन-कौन से बड़े पर्व और तिथियाँ आ रहे हैं।
फाल्गुन माह की शुरुआत कब हो रही है?
फाल्गुन माह हिंदू कैलेंडर के अनुसार 13 फरवरी 2025 से शुरू हो रहा है। यह कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होगा और शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को 14 मार्च 2025 को समाप्त होगा। 14 मार्च को होली का पर्व मनाया जाएगा, जो फाल्गुन माह का अंतिम दिन होगा। इस महीने के दौरान कई प्रमुख तिथियाँ और त्योहार होंगे, जो धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
फाल्गुन माह में आने वाले प्रमुख पर्व और तिथियाँ
फाल्गुन माह में विभिन्न प्रमुख पर्व और व्रत होते हैं, जिनमें से कुछ की विशेष जानकारी इस प्रकार है:
- 16 फरवरी 2025 – द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी
- 20 फरवरी 2025 – शबरी जयंती
- 21 फरवरी 2025 – जानकी जयंती
- 24 फरवरी 2025 – विजय एकादशी
- 25 फरवरी 2025 – प्रदोष व्रत
- 26 फरवरी 2025 – महाशिवरात्रि
- 27 फरवरी 2025 – फाल्गुन अमावस्या
- 1 मार्च 2025 – फूलैरा दूज, रामकृष्ण जयंती
- 3 मार्च 2025 – विनायक चतुर्थी
- 10 मार्च 2025 – अमलकी एकादशी
- 11 मार्च 2025 – प्रदोष व्रत
- 13 मार्च 2025 – होलिका दहन, फाल्गुन पूर्णिमा व्रत
- 14 मार्च 2025 – होली, मीन संक्रांति, सूर्य ग्रहण
इन तिथियों पर विशेष पूजा और व्रत आयोजित किए जाते हैं, जो जीवन में सकारात्मकता और पुण्य का संचार करते हैं। इन तिथियों पर पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में विशेष लाभ और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
फाल्गुन माह के दौरान क्या करें और क्या न करें?
फाल्गुन माह को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ माना गया है। इस माह में कुछ विशेष कार्यों को करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कि इस महीने में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
क्या करें:
- भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें:
इस माह में विशेष रूप से भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से व्यक्ति के सभी दुख और कष्ट समाप्त होते हैं। साथ ही, भगवान कृष्ण की पूजा करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होते हैं, विशेषकर होली के दिन। - दान करें:
फाल्गुन माह में दान-पुण्य का बहुत महत्व है। इस महीने में जरूरतमंदों को दान करना विशेष पुण्य का काम है। खासकर गरीबों और असहायों की मदद करना भगवान की कृपा प्राप्त करने का एक तरीका है। - एकादशी का व्रत रखें:
एकादशी के दिन उपवास रखना और भगवान विष्णु की पूजा करना व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और सुख लाता है। इस दिन विशेष रूप से उपवास करके भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए। - होली पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें:
होली के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से रंगों के साथ पूजा और भक्ति करनी चाहिए, ताकि व्यक्ति को मानसिक शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त हो सके।
क्या न करें:
- तामसिक पदार्थों का सेवन न करें:
फाल्गुन माह में तामसिक पदार्थों का सेवन जैसे मांसाहार, शराब, लहसुन, प्याज आदि से बचना चाहिए। इनसे मानसिक और शारीरिक शुद्धता में कमी आती है। इस महीने में सिर्फ सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए। - नकारात्मक सोच से बचें:
फाल्गुन माह में किसी भी व्यक्ति के प्रति नकारात्मक सोच रखना या बुरा सोचने से बचना चाहिए। इस माह में सकारात्मक विचारों को अपनाना चाहिए और दूसरों के प्रति अच्छाई और दया का भाव रखना चाहिए। - झगड़ा और विवाद से दूर रहें:
इस माह में किसी भी प्रकार के झगड़े, विवाद या नकारात्मकता से बचना चाहिए। इस महीने में शांति बनाए रखना और सभी के साथ मिल-जुल कर रहना चाहिए।
फाल्गुन माह का धार्मिक महत्व
फाल्गुन माह का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस महीने में महाशिवरात्रि और होली जैसे प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। महाशिवरात्रि भगवान शिव की पूजा का विशेष अवसर है, जो विशेष रूप से पुण्य देने वाली होती है। इस दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और रात्रि जागरण करना पुण्य फल देता है।
होली, जो इस महीने के अंतिम दिन मनाई जाती है, प्रेम, भाईचारे और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन लोग रंगों के साथ खेलते हैं और एक-दूसरे को खुशी की कामनाएँ भेजते हैं। होली का पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है, जो मानसिक शांति और खुशी का संचार करता है।