Delhi Assembly Elections: जानें क्यों उम्मीदवारों का सुरक्षा जमा होता है जब्त?

Delhi Assembly Elections: जानें क्यों उम्मीदवारों का सुरक्षा जमा होता है जब्त?

Delhi Assembly Elections: आज दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए भाजपा, आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होने जा रहा है। दिल्ली में 5 फरवरी को वोटिंग हुई थी और अब नतीजे घोषित किए जा रहे हैं। हालांकि चुनाव प्रक्रिया केवल मतदान और परिणामों तक सीमित नहीं होती, बल्कि इसमें कई कानूनी प्रावधान भी होते हैं, जिनमें से एक है सुरक्षा जमा की जब्ती का प्रावधान। चुनाव परिणामों के समय अक्सर उम्मीदवार के सुरक्षा जमा के जब्त होने की खबरें आती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? चलिए, इसे समझते हैं।

सुरक्षा जमा क्या है?

चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार को चुनाव आयोग के पास एक निश्चित राशि जमा करनी होती है। इस राशि को ‘सुरक्षा जमा’ कहा जाता है। यह व्यवस्था 1961 के चुनाव नियमों (Conduct of Election Rules, 1961) में की गई है। विधानसभा चुनावों में सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार को 10,000 रुपये और एससी-एसटी उम्मीदवार को 5,000 रुपये जमा करने होते हैं।

सुरक्षा जमा उम्मीदवार की तरफ से एक तरह से यह सुनिश्चित करने का उपाय है कि वह चुनाव प्रक्रिया को गंभीरता से लेगा और उसका उद्देश्य सिर्फ चुनाव में भाग लेना नहीं है, बल्कि वह चुनावी प्रक्रिया को सही तरीके से पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है।


Delhi Assembly Elections: जानें क्यों उम्मीदवारों का सुरक्षा जमा होता है जब्त?

सुरक्षा जमा क्यों जब्त होता है?

अब सवाल उठता है कि उम्मीदवार का सुरक्षा जमा कब और क्यों जब्त किया जाता है। यदि उम्मीदवार चुनाव में कुल मतों का 1/6 हिस्सा यानी 16.66% से कम वोट हासिल करता है, तो चुनाव आयोग उसका सुरक्षा जमा जब्त कर लेता है। यह सुरक्षा जमा उसके द्वारा चुनाव लड़ने की गंभीरता का संकेत होता है और जब कोई उम्मीदवार चुनावी प्रक्रिया में अपनी भूमिका नहीं निभाता, तो उसे यह दंड स्वरूप जब्त किया जाता है।

इस प्रक्रिया को ‘सुरक्षा जमा की जब्ती’ कहा जाता है। यदि उम्मीदवार को चुनाव में 16.66% से ज्यादा वोट मिलते हैं, तो उसकी जमा की गई राशि उसे वापस कर दी जाती है।

क्या होती है सुरक्षा जमा की वापसी की प्रक्रिया?

यदि उम्मीदवार चुनाव में जीत जाता है या उसकी वोटों की संख्या 16.66% से अधिक होती है, तो चुनाव आयोग उसे उसकी जमा की गई राशि वापस कर देता है। इसके अलावा, यदि उम्मीदवार ने अपना नामांकन वापस ले लिया हो या उसका नामांकन किसी कारणवश रद्द हो गया हो, तो भी सुरक्षा जमा वापस कर दिया जाता है।

इस प्रकार, सुरक्षा जमा का उद्देश्य केवल एक अनिवार्य रकम जमा करवाना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि उम्मीदवार चुनावी प्रक्रिया को गंभीरता से ले और चुनावी नियमों का पालन करे। अगर किसी उम्मीदवार ने यह समझा कि वह चुनाव नहीं जीत सकता और नामांकन वापस लिया, तो उसकी जमा राशि भी सुरक्षित रहती है।

क्या है जब्ती का उद्देश्य?

सुरक्षा जमा की जब्ती एक तरह से उम्मीदवार के खिलाफ एक दंडात्मक उपाय है, जो यह सुनिश्चित करता है कि वह अपनी चुनावी जिम्मेदारी को पूरी तरह से समझे और चुनावी प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ न करे। यह एक ऐसी व्यवस्था है, जो केवल उम्मीदवारों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे चुनावी तंत्र के लिए एक विश्वास उत्पन्न करती है।

यह प्रावधान इसलिये भी है ताकि चुनावी प्रक्रिया का सम्मान बना रहे और उम्मीदवार केवल अपनी पार्टी के लिए ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र के तहत अपनी जिम्मेदारी निभा सके। जब एक उम्मीदवार उम्मीदवारी में गंभीरता नहीं दिखाता और चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा बनकर केवल वोट की राजनीति करता है, तो सुरक्षा जमा जब्त करने का नियम उसे सही दिशा में लाने का काम करता है।

लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए सुरक्षा जमा की राशि

अब जब हम सुरक्षा जमा के बारे में समझ गए हैं, तो यह जानना भी जरूरी है कि यह राशि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए अलग-अलग होती है। लोकसभा चुनावों के लिए सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार को 25,000 रुपये और एससी-एसटी उम्मीदवारों को 12,500 रुपये सुरक्षा जमा के रूप में चुनाव आयोग के पास जमा करनी होती है।

वहीं, विधानसभा चुनावों के लिए सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार को 10,000 रुपये और एससी-एसटी उम्मीदवारों को 5,000 रुपये की राशि चुनाव आयोग के पास जमा करनी होती है। यह जमा उम्मीदवार की चुनावी स्थिति को गंभीरता से मान्यता देती है और उसे सही तरीके से चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रेरित करती है।

सुरक्षा जमा की जब्ती से क्या होता है?

इस प्रक्रिया का एक बड़ा फायदा यह है कि चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने का मौका मिलता है कि उम्मीदवार चुनाव प्रक्रिया का पालन सही तरीके से कर रहे हैं। जब किसी उम्मीदवार का सुरक्षा जमा जब्त होता है, तो यह न केवल उस उम्मीदवार को दंडित करता है, बल्कि यह चुनाव प्रक्रिया में अनुशासन बनाए रखने का काम भी करता है।

इसके अलावा, सुरक्षा जमा की जब्ती से यह संदेश जाता है कि चुनाव में भाग लेना सिर्फ एक राजनीतिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक जिम्मेदारी भी है। उम्मीदवारों को चुनाव में गंभीरता से भाग लेना चाहिए और लोकतंत्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए।

दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणामों के दौरान सुरक्षा जमा की जब्ती का मुद्दा एक महत्वपूर्ण पहलू बनकर सामने आता है। यह प्रावधान उम्मीदवारों को चुनावी प्रक्रिया में गंभीरता से भाग लेने के लिए प्रेरित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि चुनावों में कोई भी उम्मीदवार चुनावी नियमों के खिलाफ काम नहीं कर सके। सुरक्षा जमा का यह नियम सिर्फ एक कानूनी प्रावधान नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत बनाने के लिए एक आवश्यक कदम है।

अब जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आ रहे हैं, तो यह समझना महत्वपूर्ण है कि उम्मीदवारों का सुरक्षा जमा कब और क्यों जब्त होता है, और इसका लोकतंत्र में क्या महत्व है।