Mahant Satyendra Das ji passed away: श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के प्रमुख पुजारी महंत सत्येंद्र दास जी का निधन हो गया है। वह 87 वर्ष के थे और पिछले कुछ दिनों से गंभीर रूप से बीमार थे। रविवार, 10 फरवरी को उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां उनका इलाज चल रहा था। महंत सत्येंद्र दास को ब्रेन स्ट्रोक हुआ था और साथ ही उन्हें डायबिटीज और उच्च रक्तचाप जैसी गंभीर बीमारियाँ भी थीं। अस्पताल की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि महंत सत्येंद्र दास जी ने बुधवार, 12 फरवरी को अंतिम सांस ली।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जताया शोक
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महंत सत्येंद्र दास जी के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल “X” पर पोस्ट करते हुए लिखा, “आचार्य श्री सत्येंद्र कुमार दास जी महाराज, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, श्री अयोध्या धाम के परम राम भक्त प्रमुख पुजारी का निधन अत्यंत दुखद है और आध्यात्मिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। विनम्र श्रद्धांजलि!” मुख्यमंत्री ने इस दुख की घड़ी में महंत दास जी के परिवार और उनके अनुयायियों के प्रति संवेदना व्यक्त की।
परम रामभक्त, श्री राम जन्मभूमि मंदिर, श्री अयोध्या धाम के मुख्य पुजारी आचार्य श्री सत्येन्द्र कुमार दास जी महाराज का निधन अत्यंत दुःखद एवं आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है। विनम्र श्रद्धांजलि!
प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे…
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) February 12, 2025
महंत सत्येंद्र दास का पुजारी बनने का सफर
महंत सत्येंद्र दास जी का आध्यात्मिक जीवन अत्यधिक प्रेरणादायक था। उन्होंने महज 20 वर्ष की आयु में धार्मिक जीवन अपनाया और श्रीराम जन्मभूमि मंदिर से जुड़े थे। वह 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के ध्वंस के समय राम जन्मभूमि के अस्थायी मंदिर के पुजारी थे। उस समय, अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था, और महंत दास जी ने पूरे धैर्य और समझदारी के साथ न सिर्फ अपने धर्म, बल्कि भारत के राजनीतिक और धार्मिक परिदृश्य पर भी गहरी छाप छोड़ी।
महंत सत्येंद्र दास का अयोध्या में विशेष स्थान था। वह न केवल राम मंदिर के प्रमुख पुजारी थे, बल्कि पूरे देश में एक प्रसिद्ध संत के रूप में भी जाने जाते थे। उनकी साधुता और सरलता ने उन्हें अयोध्या के सबसे सुलभ संतों में से एक बना दिया था। मीडिया के लोग उनसे अक्सर राम मंदिर आंदोलन और उसके भविष्य के बारे में सवाल करते थे, और उन्होंने हमेशा शांति से सबका मार्गदर्शन किया। उनका जीवन अडिग विश्वास और निष्ठा का प्रतीक था।
बाबरी मस्जिद के ध्वंस के बाद का संघर्ष
महंत सत्येंद्र दास जी ने बाबरी मस्जिद के ध्वंस के बाद भी राम मंदिर के निर्माण के लिए अपनी भूमिका निभाई। उन्होंने उस समय भी पूरे देश में शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास किए। बाबरी मस्जिद के ध्वंस के बाद जब रामलला की मूर्ति अस्थायी मंदिर में स्थापित की गई, तब महंत दास जी ने वहाँ पूजा-अर्चना की और इस धार्मिक स्थान की महत्ता को बनाए रखा।
उनके समय में राम मंदिर आंदोलन ने राजनीतिक हलचल पैदा की, लेकिन महंत दास जी ने हमेशा यह संदेश दिया कि राम मंदिर के निर्माण का उद्देश्य केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक भी है। वह चाहते थे कि राम जन्मभूमि का मंदिर एक ऐसा स्थान बने जहाँ सभी लोग एकजुट होकर शांति और भाईचारे के साथ जीवन यापन करें।
महंत सत्येंद्र दास का योगदान
महंत सत्येंद्र दास ने राम मंदिर आंदोलन के प्रति अपनी निष्ठा और समर्पण को हमेशा बनाए रखा। वह एक ऐसे संत थे जिन्होंने सिर्फ अपने अनुयायियों को ही नहीं, बल्कि देशभर के नागरिकों को भी आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का प्रेरणा दी। उन्होंने भगवान श्रीराम के प्रति अपने विश्वास को दृढ़ रखा और राम जन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण के लिए लगातार संघर्ष किया। उनका जीवन और कार्य भारत के आध्यात्मिक पुनर्निर्माण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
महंत सत्येंद्र दास जी ने अयोध्या में राम मंदिर के लिए जो कदम उठाए, वह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थे, बल्कि उन्होंने भारतीय राजनीति और समाज पर भी गहरी छाप छोड़ी। उनका संघर्ष और उनकी तपस्या अयोध्या और भारत के हर कोने में याद रखी जाएगी।
महंत सत्येंद्र दास का व्यक्तित्व
महंत सत्येंद्र दास जी का व्यक्तित्व एक आदर्श संत का था। वह बहुत साधारण और विनम्र व्यक्ति थे। उनके साथ हर वर्ग के लोग आसानी से संवाद कर सकते थे। अयोध्या में उनके प्रवास के दौरान उन्होंने न केवल मंदिरों की पूजा-अर्चना की, बल्कि सामाजिक कार्यों में भी भाग लिया। उनकी उपस्थिति से अयोध्या को एक नई पहचान मिली थी। वह हमेशा राम के परम भक्त के रूप में जाने गए और उनके जीवन का उद्देश्य राम के आदर्शों को फैलाना था।
महंत सत्येंद्र दास जी का निधन अयोध्या ही नहीं, बल्कि समूचे देश के लिए एक बड़ा क्षति है। उनका योगदान न केवल राम मंदिर के निर्माण में रहा, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज में धार्मिक समन्वय और शांति को बढ़ावा दिया। उनके जाने से जो रिक्तता पैदा हुई है, वह आसानी से भर पाना संभव नहीं होगा।