भारत की पूर्व विदेश मंत्री Sushma Swaraj का जन्म 14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला में हुआ था। हालांकि, उनका राजनीतिक जीवन अधिकतर राष्ट्रीय स्तर पर ही सक्रिय रहा। उन्होंने दिल्ली से लोकसभा चुनाव जीते और विदिशा से भी चुनाव जीतकर संसद पहुंचीं। इसके अलावा, वह कई बार हरियाणा की विधायक भी बनीं। सुषमा स्वराज देश की सबसे मजबूत महिला नेताओं में से एक मानी जाती हैं। इस लेख में हम उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास कहानियों का जिक्र करेंगे, जो उनकी संघर्षमय और प्रेरणादायक यात्रा को दर्शाती हैं।
Sushma Swaraj का प्रारंभिक जीवन और संघ से जुड़ाव
Sushma Swaraj के पिता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े हुए थे, जिसके कारण उनका पालन-पोषण भी संघ विचारधारा के बीच हुआ। सुषमा स्वराज ने अपने जीवन की शुरुआत से ही राजनीति में रुचि दिखाई और संघ से जुड़े रहने के कारण उनकी राजनीतिक विचारधारा भी बनी। वह छात्र नेता के रूप में काफी सक्रिय रहीं और एक प्रभावशाली वक्ता के रूप में अपनी पहचान बनाई। सुषमा स्वराज ने राजनीति में अपनी सक्रिय शुरुआत की और जल्द ही लोगों के बीच लोकप्रिय हो गईं।
इमरजेंसी के दौरान सुषमा स्वराज की सक्रियता
सुषमा स्वराज का राजनीतिक सफर मुजफ्फरपुर से शुरू हुआ था, जो आपातकाल के दौरान एक महत्वपूर्ण मोड़ पर था। जब 1976 में जॉर्ज फर्नांडीस को मुजफ्फरपुर जेल में बंद किया गया, तो सुषमा ने उनके चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी ली। इस समय सुषमा स्वराज ने जॉर्ज फर्नांडीस की जेल में बंद फोटो के साथ एक अभियान चलाया और ‘जेल का ताला टूटेगा, जॉर्ज हमारा छुटेगा’ का नारा दिया। इसके परिणामस्वरूप, जॉर्ज फर्नांडीस ने चुनाव जीत लिया। इस घटना ने सुषमा स्वराज को एक नेता के रूप में पहचान दिलाई और उनके राजनीतिक जीवन का यह महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
सबसे कम उम्र की मंत्री बनने का रिकॉर्ड
सुषमा स्वराज ने 1977 में पहली बार विधायक के रूप में राजनीति में कदम रखा। महज 25 वर्ष की आयु में उन्हें श्रम मंत्री बनाया गया। इसके बाद 1980 के दशक में उन्होंने भाजपा में शामिल होकर हरियाणा जनता पार्टी की अध्यक्षता की। 1990 में सुषमा स्वराज को राज्यसभा भेजा गया और 1996 में वह दक्षिण दिल्ली से सांसद बनीं। उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सौंपा गया, और इस मंत्रालय के तहत उन्होंने संसद की बहसों को लाइव टेलीकास्ट करने की व्यवस्था की, जो आज तक जारी है। इसके अलावा, सुषमा स्वराज ने बॉलीवुड को उद्योग का दर्जा दिलवाया, जिससे फिल्म निर्माता को ऋण प्राप्त करने का रास्ता आसान हुआ और आम लोगों के लिए बॉलीवुड की दुनिया में प्रवेश करना सरल हो गया।
पांच राज्यों से संसद पहुंचने का रिकॉर्ड
सुषमा स्वराज ने कुल सात बार संसद में प्रवेश किया। भाजपा ने उन्हें चार बार राज्यसभा भेजा और तीन बार लोकसभा चुनावों में जीत दिलाई। वह राज्यसभा सांसद के रूप में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश से चुनी गईं, जबकि उन्होंने दक्षिण दिल्ली सीट से लोकसभा चुनाव भी जीते। सुषमा स्वराज ने मध्य प्रदेश की विदिशा सीट से दो बार लोकसभा चुनाव जीते। हालांकि, कर्नाटक में सोनिया गांधी से उन्हें हार का सामना भी करना पड़ा। इस तरह, सुषमा स्वराज ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और दिल्ली से संसद में प्रतिनिधित्व किया।
Sushma Swaraj का विदेश मंत्रालय में योगदान
सुषमा स्वराज का विदेश मंत्री के रूप में कार्यकाल भारतीय विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय था। उन्होंने हमेशा भारतीय नागरिकों के हितों की रक्षा की और विदेशों में भारतीयों के लिए कई अहम कदम उठाए। उनका सबसे बड़ा योगदान विदेशों में फंसे भारतीयों की मदद करना था। उन्होंने न केवल विदेशी सरकारों से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए संवाद किया, बल्कि सोशल मीडिया के माध्यम से भी कई बार उनकी समस्याओं को हल किया। उनकी नीतियों और प्रयासों ने विदेश नीति को नया दिशा दी और भारतीयों के लिए एक नई उम्मीद जगाई।
सुषमा स्वराज की विरासत
Sushma Swaraj का जीवन संघर्ष और समर्पण का प्रतीक था। वह एक अद्वितीय नेता थीं, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और नेतृत्व क्षमता से देश में अपने लिए एक खास जगह बनाई। उनका व्यक्तित्व केवल एक राजनेता का नहीं था, बल्कि वह एक मां, एक मार्गदर्शक और एक प्रेरणा स्रोत भी थीं। उनकी कूटनीति, नेतृत्व और सहयोग ने न केवल भारतीय राजनीति को प्रभावित किया, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी उन्हें सम्मान दिलवाया। उनका कार्यकाल भारतीय राजनीति में हमेशा याद रखा जाएगा।
Sushma Swaraj का जीवन हमें यह सिखाता है कि अगर किसी के अंदर मेहनत, संकल्प और ईमानदारी हो, तो वह किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है। उनकी यात्रा ने यह साबित किया कि एक महिला नेता भी देश की राजनीति में अपनी छाप छोड़ सकती है। उनकी कड़ी मेहनत, देश के प्रति प्रेम और भारतीय नागरिकों के लिए उनकी प्रतिबद्धता हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेगी। सुषमा स्वराज का योगदान भारतीय राजनीति में अनमोल रहेगा, और उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।