Modi-Trump: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प से कई मुद्दों पर चर्चा की, जिनमें व्यापार और रक्षा सहयोग शामिल थे। दोनों नेताओं ने क्वाड साझेदारी को मजबूत करने की प्रतिबद्धता भी जताई। इस दौरान एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीन का जिक्र किया गया, जिसके बाद ड्रैगन यानी चीन को गुस्सा आ गया। चीन ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में चीन को मुद्दा नहीं बनाना चाहिए, और ना ही किसी को देशों के बीच फूट डालने और टकराव को बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए।
चीन का बयान
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि चीन का मानना है कि देशों के बीच संबंधों और सहयोग में किसी तीसरे पक्ष को मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। उनका यह भी कहना था कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसी अन्य देश के हितों को नुकसान न पहुंचे और यह क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए लाभकारी हो।
क्या था मुद्दा?
प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प से चीन से संबंधित सवाल पूछा गया था। इसमें भारत-चीन सीमा पर तनाव का भी जिक्र किया गया। इस पर ट्रम्प ने भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर मध्यस्थता की पेशकश की। उन्होंने कहा, “मैं भारत को देखता हूं, मैं सीमा पर संघर्ष देखता हूं। ये बहुत कठोर हैं। मुझे लगता है कि ये जारी रहेंगे। अगर मैं मदद कर सकता हूं, तो मैं ऐसा करना चाहूंगा, क्योंकि यह बंद होना चाहिए।”
चीन की महत्वपूर्ण भूमिका
डोनाल्ड ट्रम्प ने यह भी कहा कि चीन रूस-यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा, “चीन एक महत्वपूर्ण देश है। मुझे लगता है कि वे यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध को समाप्त करने में मदद कर सकते हैं।” ट्रम्प ने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि चीन, भारत, रूस और अमेरिका को एक साथ काम करना चाहिए, क्योंकि यह बहुत महत्वपूर्ण होगा।
चीन के साथ अच्छे रिश्ते: ट्रम्प
डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के साथ अपने रिश्तों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि COVID-19 महामारी से पहले उनका राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बहुत अच्छा रिश्ता था। ट्रम्प ने कहा, “हमने एक-दूसरे के साथ बहुत अच्छे रिश्ते बनाए थे। महामारी से पहले, हमारे बीच बहुत करीबी संबंध थे।”
मिलिट्री टेंशन को कम करने की इच्छा
डोनाल्ड ट्रम्प का मानना है कि सैन्य तनाव को कम करना बेहद जरूरी है। खासकर, वह परमाणु हथियारों की दौड़ को समाप्त करने की दिशा में काम करना चाहते हैं। इस संबंध में, वह जल्द ही चीन और रूस के राष्ट्रपतियों से मुलाकात करेंगे। ट्रम्प ने कहा, “मैं चीन और रूस से मिलने जा रहा हूं। हम देखेंगे कि क्या हम इस तनाव को कम कर सकते हैं।”
चीन का गुस्सा क्यों बढ़ा?
चीन की नाराजगी का कारण यह है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत-चीन सीमा विवाद पर चर्चा की गई और ट्रम्प ने मध्यस्थता की पेशकश की। चीन को यह स्थिति अप्रिय लगी, क्योंकि वह हमेशा यह दावा करता है कि भारत और चीन के बीच विवाद एक द्विपक्षीय मामला है, जिसमें किसी तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी नहीं होनी चाहिए। चीन का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के विवादों में उसे अपमानित किया जाता है, और इसे वह अपनी संप्रभुता पर हमला मानता है।
भारत-चीन सीमा पर तनाव
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद लंबे समय से चला आ रहा है, जिसमें कुछ इलाकों में तनाव की स्थिति बनी रहती है। हाल ही में, लद्दाख क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़पों की खबरें आई थीं। इस कारण भारत-चीन संबंधों में खटास आई है। ऐसे में ट्रम्प की मध्यस्थता की पेशकश ने चीन को और भी नाराज कर दिया।
भारत और अमेरिका के रिश्ते
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंध काफी मजबूत हुए हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा, और अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर विचारों का आदान-प्रदान बढ़ा है। ट्रम्प ने भी भारत के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखने की इच्छा जताई। हालांकि, चीन का जिक्र होने से भारत-चीन संबंधों में नए विवाद की आशंका जताई जा रही है।
आगे की स्थिति
अब देखना यह होगा कि इस मुद्दे पर आगे क्या होता है। क्या चीन अपनी नाराजगी को शांत करेगा या फिर दोनों देशों के बीच और तनाव बढ़ेगा? प्रधानमंत्री मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प के बीच इस मुलाकात ने एक नया मोड़ लिया है, जिसमें चीन के संबंध में दिए गए बयान ने अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में हलचल पैदा कर दी है।
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रिश्तों के बीच, चीन का जिक्र इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में विवाद का कारण बन गया। ट्रम्प की मध्यस्थता की पेशकश और चीन के प्रति उनके विचारों ने चीन को नाराज किया है। अब यह देखना होगा कि इस मामले में चीन की प्रतिक्रिया क्या होती है और क्या दोनों देशों के रिश्तों में कोई नया मोड़ आता है।