भारतीय Stock market पिछले कुछ महीनों से भारी उतार-चढ़ाव का सामना कर रहा है। जब पिछले साल सितंबर में बाजार ने उछाल भरी थी, तो कई विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया था कि निफ्टी 50 जल्द ही 28,000 अंकों तक पहुंच सकता है। हालांकि, इसके बिल्कुल विपरीत हुआ। 27 सितंबर को निफ्टी 50 अपने उच्चतम स्तर 26,277 तक पहुंचा था, लेकिन अब यह लगभग 13% नीचे गिर चुका है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार अब ओवरसोल्ड ज़ोन में प्रवेश कर चुका है और यहां से कुछ रिकवरी की उम्मीद की जा सकती है, लेकिन निकट भविष्य में कोई नई बुल रन शुरू होने की संभावना बहुत कम है। भारतीय शेयर बाजार के लिए आगे का रास्ता चुनौतीपूर्ण नजर आ रहा है। आइए जानते हैं इसके प्रमुख कारण।
1. ट्रंप की टैरिफ नीति से बढ़ी अनिश्चितता
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीति ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने हाल ही में “रेसिप्रोकल टैरिफ” (पारस्परिक शुल्क) की घोषणा की है, जिसका मतलब है कि अगर किसी देश द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर अधिक शुल्क लगाया जाता है, तो अमेरिका भी उसी अनुपात में उस देश के उत्पादों पर शुल्क बढ़ाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति वैश्विक व्यापार में बाधा डाल सकती है और अमेरिका के सहयोगी देशों के साथ व्यापार युद्ध की स्थिति बना सकती है। इससे निवेशकों की चिंता बढ़ी है और भारतीय बाजार पर भी दबाव देखा जा रहा है।
2. वैश्विक आर्थिक मंदी और भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और भारत में कमजोर मॉनसून का असर अर्थव्यवस्था पर दिख रहा है। भले ही भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहेगा, लेकिन कुछ संकेत चिंता बढ़ाने वाले हैं।
- मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर केवल 6.4% रहने का अनुमान है।
- मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर कमजोर पड़ रहा है।
- कॉर्पोरेट निवेश की गति धीमी हो गई है।
यदि ये कारक बने रहते हैं, तो शेयर बाजार में कोई बड़ी तेजी की संभावना कम हो जाएगी।
3. विदेशी निवेशकों की बिकवाली से बाजार में गिरावट
अक्टूबर 2024 से अब तक विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारतीय शेयर बाजार से 2.94 लाख करोड़ रुपये निकाल लिए हैं। इसकी प्रमुख वजहें हैं:
- अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी
- डॉलर की मजबूती
- भारतीय शेयर बाजार का ऊंचा वैल्यूएशन
- अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम होना
अगर विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रहती है, तो भारतीय बाजार पर दबाव बना रहेगा और रिकवरी मुश्किल होगी।
4. छोटे निवेशकों में घबराहट
बाजार में जारी गिरावट ने छोटे निवेशकों को चिंतित कर दिया है। छोटे और मिडकैप इंडेक्स (SMID) में निवेश करने वाले खुदरा निवेशकों को उम्मीद के मुताबिक रिटर्न नहीं मिला है।
- कई छोटे निवेशकों ने मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स में निवेश किया था, जहां सबसे ज्यादा गिरावट आई है।
- म्यूचुअल फंड्स में भी भारी गिरावट देखी जा रही है।
- अगर खुदरा निवेशक घबराकर अपने निवेश निकालने लगते हैं, तो बाजार में और गिरावट आ सकती है।
5. रुपये की कमजोरी बनी चिंता का कारण
भारतीय रुपये की कमजोरी भी बाजार के लिए एक नकारात्मक कारक बनी हुई है।
- रुपये में गिरावट के कारण विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं।
- अगर रुपया कमजोर बना रहता है, तो विदेशी पूंजी प्रवाह घट सकता है और बाजार में और गिरावट आ सकती है।
क्या बाजार में फिर से तेजी आ सकती है?
बाजार विशेषज्ञ मानते हैं कि निकट भविष्य में कोई बड़ी तेजी की संभावना कम है। हालांकि, अगर कुछ सकारात्मक बदलाव होते हैं, तो बाजार में सुधार हो सकता है।
संभावित सुधार के कारक:
- अमेरिकी फेडरल रिजर्व अगर ब्याज दरों में कटौती करता है।
- विदेशी निवेशकों की बिकवाली रुकती है और वे फिर से भारतीय बाजार में निवेश करने लगते हैं।
- सरकार अगर कॉर्पोरेट निवेश को बढ़ावा देने के लिए नई नीतियां लागू करती है।
- वैश्विक आर्थिक स्थितियों में सुधार आता है।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं, तो इस समय सावधानी बरतना जरूरी है।
- लंबी अवधि की रणनीति अपनाएं: बाजार में गिरावट के दौरान घबराहट में शेयर न बेचें।
- मजबूत कंपनियों में निवेश करें: उन कंपनियों को चुनें जिनकी फंडामेंटल स्थिति अच्छी हो।
- डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाएं: अपने निवेश को अलग-अलग सेक्टर्स में फैलाएं ताकि जोखिम कम हो।
- अच्छे सलाहकार की मदद लें: यदि आप खुद निवेश के फैसले लेने में सक्षम नहीं हैं, तो किसी वित्तीय सलाहकार से मार्गदर्शन लें।
भारतीय शेयर बाजार इस समय चुनौतियों से जूझ रहा है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, विदेशी निवेशकों की बिकवाली, रुपये की कमजोरी और खुदरा निवेशकों की घबराहट ने बाजार को दबाव में रखा है। हालांकि, दीर्घकालिक दृष्टि से भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है।
यदि निवेशक सही रणनीति अपनाते हैं और धैर्य बनाए रखते हैं, तो बाजार में भविष्य में अवसर मिल सकते हैं। अभी के लिए, सतर्कता से निवेश करना ही सबसे अच्छा विकल्प रहेगा।