Crime News: केरल के तिरुवनंतपुरम से एक और रैगिंग का मामला सामने आया है, जिसमें एक सरकारी कॉलेज के छात्र ने आरोप लगाया है कि उसके सीनियर ने उसकी बुरी तरह से पिटाई की और उसे मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान किया। यह घटना 11 फरवरी को कर्यवत्तम सरकारी कॉलेज में हुई। छात्र ने बताया कि उसे सीनियरों ने उसके कपड़े उतारकर घुटनों के बल बैठने पर मजबूर किया और पानी पीने के लिए कहने पर उसे अपमानित किया।
क्या हुआ था उस दिन?
घटना के बारे में छात्र ने बताया कि वह और उसका दोस्त कॉलेज कैम्पस से गुजर रहे थे, तभी एक समूह ने उन्हें रोक लिया। सीनियर छात्रों ने छात्र को बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया। छात्र का दोस्त जैसे-तैसे वहां से भाग निकला और कॉलेज के प्रधानाचार्य को इसकी सूचना दी। इसके बाद पीड़ित छात्र को एक कमरे में बंद कर दिया गया। वहां, सीनियर छात्रों ने उसका शर्ट उतारकर उसे घुटनों के बल बैठने के लिए कहा। जब छात्र ने पानी मांगा, तो उनमें से एक सीनियर ने आधे गिलास पानी में थूक कर उसे पिला दिया।
पुलिस और कॉलेज प्रशासन से शिकायत
पीड़ित छात्र ने इस घटना के बाद पुलिस और कॉलेज प्रशासन को उसी दिन शिकायत दी थी। उसने बताया कि सीनियर छात्रों ने उसे धमकी दी कि अगर उसने किसी को भी इस बारे में बताया, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इसके अलावा, सीनियर छात्रों ने उसे अपने दोस्त के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए भी मजबूर किया।
पुलिस ने दर्ज की FIR
केरल के कझकुट्टम पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने इस मामले की पुष्टि की और बताया कि पुलिस ने 11 फरवरी को कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया है, जिसमें दंगा, गलत तरीके से बंदी बनाना, और रैगिंग जैसी धाराएं शामिल हैं। अधिकारी ने कहा, “केरल रैगिंग निषेध अधिनियम 1998 के तहत, पुलिस ने कॉलेज के यूनिट प्रमुख (प्रधानाचार्य) से अनुरोध किया है कि वे इस मामले की जांच करें और यह पुष्टि करें कि रैगिंग का कोई मामला तो नहीं हुआ।” प्रधानाचार्य ने जांच रिपोर्ट सोमवार को जमा की, जिसमें छात्र की शिकायत को सही ठहराया गया। इसके बाद रैगिंग से संबंधित धाराएं मामले में जोड़ दी गईं।
क्या कार्रवाई की जाएगी?
अधिकारी ने कहा कि मामले की जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट अदालत में भेजी जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस इस मामले में और गहरी जांच कर रही है और जल्द ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
रैगिंग पर कड़ी कार्रवाई की जरूरत
यह घटना फिर से रैगिंग की गंभीरता को उजागर करती है, जो कॉलेजों में एक गंभीर समस्या बन चुकी है। रैगिंग के कारण कई छात्र मानसिक रूप से प्रभावित होते हैं और कभी-कभी तो यह घटनाएं आत्महत्या तक भी ले जाती हैं। ऐसे में कॉलेजों को अपने छात्रों के बीच रैगिंग के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। साथ ही, छात्रों को यह भी समझाना जरूरी है कि रैगिंग के दौरान किसी अन्य छात्र के साथ हिंसा करना या उसका मानसिक उत्पीड़न करना पूरी तरह से गलत है और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
रैगिंग को खत्म करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
-
कड़े नियम और दंड: कॉलेज प्रशासन को रैगिंग के खिलाफ कड़े नियम लागू करने चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त दंड की व्यवस्था करनी चाहिए। इसके अलावा, रैगिंग से संबंधित घटनाओं के प्रति छात्रों को जागरूक करने की आवश्यकता है।
-
सख्त निगरानी: कॉलेजों में रैगिंग की घटनाओं को रोकने के लिए निगरानी तंत्र को मजबूत करना होगा। कैमरे और सुरक्षाकर्मियों की तैनाती से ऐसे मामलों को रोका जा सकता है।
-
सीधे संपर्क और शिकायत तंत्र: छात्रों के लिए एक आसान और सुरक्षित शिकायत तंत्र होना चाहिए, ताकि वे बिना डर के रैगिंग की घटनाओं की रिपोर्ट कर सकें। प्रशासन को तुरंत इन शिकायतों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
-
छात्रों की मानसिक स्थिति पर ध्यान: छात्रों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए परामर्श सेवाएं और काउंसलिंग की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए।
केरल में यह दूसरी घटना है, जिससे यह साबित होता है कि रैगिंग की समस्या अब भी कॉलेजों में प्रचलित है। ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए प्रशासन, कॉलेज और छात्रों को मिलकर काम करना होगा। यह जरूरी है कि रैगिंग को किसी भी रूप में सहन न किया जाए और इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि आने वाले समय में छात्रों के लिए सुरक्षित और स्वस्थ शिक्षा का माहौल तैयार किया जा सके।