Chamoli Glacier Accident: उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में सीमा सड़क संगठन (BRO) कैंप में एक हिमस्खलन (बर्फीले तूफान) आने से 50 से अधिक श्रमिक बर्फ में फंस गए थे। तीन दिनों तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में 50 लोगों को बचा लिया गया, लेकिन चार श्रमिकों की मौत हो गई। अब भी चार मजदूर लापता हैं, जिनकी तलाश के लिए बचाव अभियान जारी है। लापता श्रमिकों को खोजने के लिए ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (GPR) मंगवाया गया है।
रेस्क्यू अभियान में नई जानकारी
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) की ताजा जानकारी के अनुसार, शुरुआत में पांच श्रमिक लापता बताए गए थे, लेकिन हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के रहने वाले सुनील कुमार खुद सुरक्षित अपने घर पहुंच गए। इसके बाद चार अन्य श्रमिकों की तलाश जारी है।
भारतीय सेना के अनुसार, शुक्रवार (28 मार्च 2025) की सुबह 5:30 से 6 बजे के बीच माणा और बद्रीनाथ के बीच BRO कैंप में हिमस्खलन हुआ, जिससे आठ कंटेनरों और एक शेड में मौजूद 55 श्रमिक बर्फ में फंस गए। शुक्रवार रात तक 33 लोगों को बचा लिया गया था, जबकि शनिवार को 17 और लोगों को सुरक्षित निकाला गया।
रेस्क्यू अभियान फिर से शुरू किया गया
शुक्रवार को बारिश और बर्फबारी के कारण बचाव कार्य में बाधा आई थी, जिसके कारण रात में ऑपरेशन रोकना पड़ा। जैसे ही मौसम साफ हुआ, सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के जवानों ने शनिवार सुबह बचाव अभियान दोबारा शुरू कर दिया।
बचाव अभियान में लगे 6 हेलीकॉप्टर
सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन में कुल छह हेलीकॉप्टर लगे हुए हैं। इनमें तीन सेना के, दो वायुसेना के और एक नागरिक हेलीकॉप्टर शामिल है, जिसे सेना ने किराए पर लिया है।
माणा गांव समुद्र तल से 3,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यह भारत-तिब्बत सीमा पर बसा आखिरी गांव है। सेना के प्रवक्ता ने कहा, “अब तक 50 श्रमिकों को बचा लिया गया है, लेकिन दुर्भाग्य से उनमें से चार की मौत हो गई है। शेष लापता लोगों की तलाश जारी है।”
#WATCH Uttarakhand: Indo-Tibetan Border Police (ITBP) personnel carrying out rescue operations in avalanche-hit area of Chamoli district.
4 people have died in the avalanche incident.
(Source: ITBP) pic.twitter.com/frrVj3pY5p
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 1, 2025
मृतकों की पहचान हुई
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) ने चार मृतकों की पहचान की है:
- मोहिंदर पाल – हिमाचल प्रदेश
- जितेंद्र सिंह – हिमाचल प्रदेश
- मंजीत यादव – उत्तर प्रदेश
- अलोक यादव – उत्तराखंड
इसके अलावा, चार अन्य श्रमिक अभी भी लापता हैं, जिनके नाम हैं:
- हरमेश चंद – हिमाचल प्रदेश
- अशोक – उत्तर प्रदेश
- अनिल कुमार – उत्तराखंड
- अरविंद सिंह – उत्तराखंड
हिमपात के कारण सड़क मार्ग अवरुद्ध
सेना के अधिकारियों के अनुसार, बचाव कार्य मुख्य रूप से सेना और वायुसेना के हेलीकॉप्टरों द्वारा किया जा रहा है क्योंकि भारी हिमपात के कारण सड़क मार्ग कई स्थानों पर अवरुद्ध हो चुका है। इससे वाहनों की आवाजाही लगभग असंभव हो गई है। प्राथमिकता यह है कि बचाए गए श्रमिकों को जल्द से जल्द जोशीमठ स्थित सेना अस्पताल ले जाया जाए और शेष लापता लोगों को खोजा जाए।
सड़क मार्ग से आवाजाही असंभव – लेफ्टिनेंट जनरल
सेना अस्पताल में अब तक 24 घायल श्रमिकों को भर्ती कराया गया है, जिनमें से दो को एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया है। सेना प्रवक्ता के अनुसार, “मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन का निरीक्षण करने के लिए केंद्रीय कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (GOC-in-C) लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता और उत्तरी भारत क्षेत्र के GOC लेफ्टिनेंट जनरल डी. जी. मिश्रा पहुंचे हैं।”
लेफ्टिनेंट जनरल सेनगुप्ता ने कहा कि “सड़क मार्ग से आगे बढ़ना संभव नहीं है क्योंकि कई जगहों पर भारी बर्फ जमा है। बद्रीनाथ-जोशीमठ हाईवे भी 15-20 स्थानों पर अवरुद्ध हो चुका है।”
लापता कंटेनरों की तलाश में GPR की मदद ली जा रही
सेना के अनुसार, BRO कैंप में कुल आठ कंटेनर थे, जिनमें से पांच को खोज लिया गया है, लेकिन तीन अभी तक नहीं मिल पाए हैं। लापता श्रमिकों की खोज के लिए सेना विशेष रडार, UAV (ड्रोन), क्वाडकॉप्टर और एवलॉन्च रेस्क्यू डॉग्स का इस्तेमाल कर रही है।
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने दिल्ली से ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (GPR) मंगवाया है ताकि लापता श्रमिकों और कंटेनरों को जल्द से जल्द खोजा जा सके।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया प्रभावित क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को प्रभावित क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया और अधिकारियों को बचाव अभियान में तेजी लाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा, “बचाव दल पूरी तत्परता से काम कर रहे हैं और सरकार हरसंभव मदद कर रही है। हमारी प्राथमिकता लापता श्रमिकों को जल्द से जल्द खोज निकालना और घायलों को सर्वोत्तम इलाज देना है।”
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि “राज्य सरकार केंद्र से लगातार संपर्क में है और इस घटना में प्रभावित लोगों की हर संभव सहायता की जाएगी।”
उत्तराखंड के चमोली जिले में माणा गांव में हुए हिमस्खलन से BRO कैंप में बड़ा हादसा हो गया। हालांकि सेना, वायुसेना, ITBP और राज्य आपदा प्रबंधन टीमों के प्रयासों से अब तक 50 लोगों को बचाया जा चुका है, लेकिन चार लोगों की दुखद मौत हो गई और चार अभी भी लापता हैं। बचाव कार्य लगातार जारी है और लापता लोगों की तलाश के लिए अत्याधुनिक तकनीक जैसे GPR और ड्रोन का सहारा लिया जा रहा है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार भी लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।