टीम इंडिया के शानदार तेज गेंदबाज Mohammed Shami को एक तस्वीर के कारण जमकर ट्रोल किया जा रहा है। दरअसल, इस तस्वीर में शमी मैच के दौरान एक एनर्जी ड्रिंक पीते हुए नजर आ रहे हैं, जिस कारण वह कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। बरेली के एक मौलाना ने शमी को रमजान के महीने में रोज़ा न रखने के कारण बड़ा पापी करार दिया है। हालांकि, शमी के समर्थन में भी कई आवाज़ें उठ रही हैं और कुछ मौलानाओं ने शमी का बचाव किया है।
रोज़ा न रखने को लेकर शमी पर सवाल उठाए गए
बरेली के मौलाना शाहबुद्दीन रिज़वी ने कहा कि शमी ने रोज़ा न रखकर बहुत बड़ा गुनाह किया है। उनका कहना था, “शरीयत के अनुसार, मोहम्मद शमी अपराधी हैं क्योंकि इस्लाम में रोज़ा रखना अनिवार्य है। रोज़ा न रखकर शमी ने एक बड़ा पाप किया है।” यह बयान तब आया जब शमी की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई, जिसमें वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच के दौरान एनर्जी ड्रिंक पीते हुए दिखाई दिए। यह मैच दुबई में खेला गया था, जहां शमी ने तीन अहम विकेट भी लिए थे।
शमी के खिलाफ ट्रोलिंग पर कुछ मौलाना का समर्थन
मोहम्मद शमी, जो रमजान में रोज़ा न रखने के कारण ट्रोल हो रहे थे, अब उन्हें कुछ मौलानों का समर्थन भी मिल रहा है। दिल्ली के मोती मस्जिद के इमाम मौलाना अरशद ने कहा कि जो लोग शमी को ट्रोल कर रहे हैं, वे न तो इस्लाम को समझते हैं और न ही कुरान को। मौलाना ने कहा, “इस्लाम में यात्रा करने वाले को रोज़ा न रखने की छूट दी जाती है। इस समय शमी भारत से बाहर यात्रा पर हैं, तो यह नियम उनके ऊपर भी लागू होता है। रोज़ा के मामले में केवल कुरान के आदेश का पालन किया जाना चाहिए, न कि बरेली के मौलाना या दूसरे लोग। शमी अपने देश के लिए खेल रहे हैं, यह हमें याद रखना चाहिए।”
मौलाना अरशद का यह बयान शमी के समर्थन में एक मजबूत तर्क पेश करता है। वह कहते हैं कि शमी ने कोई गलत काम नहीं किया और इस बारे में केवल धार्मिक आदेशों को ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन का शमी के समर्थन में बयान
महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन ने भी मोहम्मद शमी का समर्थन किया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष रोहित पवार ने शमी की खुलकर रक्षा की और कहा कि पूरी एसोसिएशन शमी के साथ खड़ी है। पवार ने कहा, “शमी इस्लाम का सम्मान करते हैं, लेकिन उनके लिए देश पहले है। शमी का शरीर अलग होता है और अगर वह मैच के दौरान एनर्जी ड्रिंक पी रहे हैं ताकि वह बेहतर प्रदर्शन कर सकें, तो इसमें कुछ गलत नहीं है। चैंपियंस ट्रॉफी बहुत अहम है। अगर शमी पूरी तरह फिट नहीं हैं तो देश को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।”
यह बयान यह दर्शाता है कि शमी की फिटनेस और उनके प्रदर्शन के लिए जो कदम उठाए जा रहे हैं, वे पूरी तरह से देश की भलाई के लिए हैं।
ट्रोलिंग और आलोचनाओं का शमी पर असर
हालांकि, शमी को मिली आलोचनाओं का उन पर गहरा असर पड़ा होगा, लेकिन उनके समर्थक इस बात को समझते हैं कि खिलाड़ी का मुख्य उद्देश्य अपने देश के लिए बेहतर प्रदर्शन करना है। क्रिकेट जैसे उच्च दबाव वाले खेल में, खिलाड़ी अपनी फिटनेस बनाए रखने के लिए जो भी कदम उठाते हैं, वह समझदारी से किए जाते हैं।
वर्तमान में शमी अपनी टीम के सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ियों में से एक हैं, और उनका फिट रहना, देश के लिए जीत हासिल करने के लिहाज से जरूरी है। एनर्जी ड्रिंक जैसी चीजें खिलाड़ियों की सहनशक्ति को बढ़ाने के लिए उपयोगी होती हैं, और यह शमी के द्वारा किए गए इस निर्णय को सही ठहराता है।
मूल्य और धार्मिक नियमों पर विचार
जहां एक ओर कुछ लोग शमी की धार्मिक आस्थाओं और फैसलों पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर धर्म की सही समझ रखने वाले लोग इसे नकारते हैं। शमी की स्थिति को देखकर यह साफ होता है कि हर धर्म और संस्कृति के भीतर कुछ नियम होते हैं, लेकिन उन नियमों का पालन व्यक्ति की परिस्थिति और काम के आधार पर किया जा सकता है। शमी एक पेशेवर खिलाड़ी हैं, जो देश के लिए खेल रहे हैं, और उन्हें खेल के दौरान अपनी फिटनेस और सहनशक्ति बनाए रखने की पूरी छूट है।
यह समझना जरूरी है कि खेल और धर्म दोनों के अपने-अपने नियम होते हैं, लेकिन दोनों का उद्देश्य एक ही होता है — सही निर्णय लेना और अपने कर्तव्यों का पालन करना।
शमी का पेशेवर दृष्टिकोण
मोहम्मद शमी ने हमेशा अपने खेल के प्रति समर्पण और मेहनत दिखाई है। उन्होंने क्रिकेट को अपने जीवन का उद्देश्य बनाया है और देश की सेवा करना उनका प्रमुख लक्ष्य है। क्रिकेट की दुनिया में फिटनेस और उच्च प्रदर्शन के लिए कड़ी मेहनत की जरूरत होती है, और शमी इसमें कोई कसर नहीं छोड़ते। उनकी फिटनेस को बनाए रखने के लिए जो कदम उठाए जा रहे हैं, वह उनके पेशेवर दृष्टिकोण को साफ दर्शाते हैं।
मोहम्मद शमी को लेकर चल रहा यह विवाद धार्मिक और खेल के दृष्टिकोण से जुड़ा हुआ है। जहां एक ओर कुछ लोग उन पर धर्म के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शमी के समर्थन में भी आवाजें उठ रही हैं। इस विवाद ने यह साबित कर दिया है कि खेल और धर्म दोनों के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि खिलाड़ी अपने देश के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं। शमी ने हमेशा अपनी टीम और देश के प्रति समर्पण का परिचय दिया है, और उन्हें उसी तरह समझा जाना चाहिए।