Varuthini Ekadashi का व्रत कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वैशाख मास में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा करने से सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। इसे लक्ष्मी-नारायण के आशीर्वाद के लिए किया जाता है। इस दिन श्री विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए और भगवान को उनकी प्रिय वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए। लेकिन पूजा के दौरान कुछ विशेष बातें ध्यान में रखनी चाहिए। इस लेख में हम आपको यह बताएंगे कि इस दिन कौन सी चीजें भगवान विष्णु को अर्पित करनी चाहिए और कौन सी चीजें अर्पित नहीं करनी चाहिए।
विष्णु जी को अर्पित करने योग्य चीजें
वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को कुछ विशेष वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए, जिनमें मुख्य रूप से ताजे फल, मखाना, पंजीरी, साबूदाना की खीर, और पीली मिठाइयाँ शामिल हैं। इन चीजों का सेवन केवल इस दिन किया जाता है और ये पूजा के दौरान भगवान को अर्पित करने के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं। ताजे फल जैसे केले, आम, अंगूर और सेब आदि भगवान को अर्पित किए जा सकते हैं। इसके अलावा मखाना और सूखे मेवे भी एकादशी के व्रत के दौरान भगवान को अर्पित करने के लिए बहुत शुभ माने जाते हैं। साथ ही, साबूदाना की खीर और पीली मिठाइयाँ भगवान विष्णु को विशेष रूप से प्रिय होती हैं। इन चीजों को शुद्ध रूप में और ताजगी से अर्पित करें।
एकादशी के दिन भगवान विष्णु को अर्पित करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि पूजा सही तरीके से हो सके और व्रत का फल सही मिले। सबसे पहले, एकादशी पर चावल का सेवन निषिद्ध है, इसलिए भगवान विष्णु को चावल या उससे बनी कोई भी चीज़ अर्पित न करें। इसके अलावा, जो भी चीज़ आप भगवान विष्णु को अर्पित करें, वह ताजे और शुद्ध रूप में होनी चाहिए। पुराने या बासी भोजन को अर्पित करना अशुभ माना जाता है। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि तुलसी के पत्तों के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिए, पूजा में तुलसी के पत्ते अवश्य रखें।
इन गलतियों से बचें जब आप एकादशी पर भोजन अर्पित करें
एकादशी के व्रत में भगवान विष्णु को भोजन अर्पित करते समय कुछ गलतियाँ हो सकती हैं, जिनसे बचना जरूरी है। सबसे पहले, इस दिन नमक का सेवन नहीं किया जाता, इसलिए ध्यान रखें कि भगवान को अर्पित करने वाली किसी भी वस्तु में नमक न हो। दूसरी बात, व्रत के दौरान मन और आत्मा को शुद्ध रखना बहुत आवश्यक है। पूजा में किसी भी प्रकार की अशुद्धि नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा, एकादशी पर हमेशा वही चीजें अर्पित करें जो आपने स्वयं तैयार की हों। किसी और के द्वारा दी गई या पहले से उपयोग की गई चीज़ों को भगवान को अर्पित करना गलत माना जाता है।
वरुथिनी एकादशी का व्रत 24 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा। एकादशी तिथि 23 अप्रैल को शाम 4:43 बजे से शुरू होगी और 24 अप्रैल को दोपहर 2:32 बजे समाप्त होगी। इस दिन एकादशी व्रत का पारण 25 अप्रैल को सुबह 6:14 बजे से 8:47 बजे तक किया जा सकेगा। इस व्रत के दौरान भगवान श्री विष्णु की पूजा विशेष रूप से फलदायक मानी जाती है। व्रत विधि का पालन कर, शुद्ध मन और हृदय से भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है।