Manipur में एक बार फिर हिंसा और तनाव का माहौल उत्पन्न हो गया है। रविवार सुबह कांगपोकपी जिले में स्थिति शांत रही, लेकिन फिर भी लोगों के बीच तनाव का वातावरण बना हुआ था। दरअसल, आज कूकी-जो समुदाय ने सुरक्षा बलों के खिलाफ अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया है, जिसके चलते राज्य में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है। हालांकि कांगपोकपी जिले में आज शांति रही, फिर भी माहौल में तनाव व्याप्त था। अधिकारियों के अनुसार, शनिवार को कूकी प्रदर्शकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़प में एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई। इस झड़प में महिलाओं और पुलिसकर्मियों सहित 40 से अधिक लोग घायल हो गए।
हिंसा और झड़प की घटना:
शनिवार को कूकी-प्रभुत्व वाले कांगपोकपी जिले में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच उस वक्त हिंसा भड़क उठी जब पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागकर प्रदर्शकारियों को तितर-बितर करने की कोशिश की। ये प्रदर्शनकारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, जिसमें राज्य भर में बिना किसी रोक-टोक के यातायात की अनुमति दी गई थी। इस फैसले के खिलाफ कूकी-जो समुदाय के प्रदर्शनकारियों ने विरोध शुरू किया, जिसके बाद झड़पें बढ़ गईं।
सुरक्षा बलों पर हमले और बढ़ाई गई सुरक्षा:
कूकी-जो समुदाय के प्रदर्शकारियों ने सुरक्षा बलों पर कंकरों और पत्थरों से हमला किया, और कई वाहनें भी तोड़ी गईं। इस हमले में 27 सुरक्षा कर्मी घायल हुए। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को अवरुद्ध किया और टायरों को जलाया, जिसके बाद सुरक्षा बलों को वहां अतिरिक्त जवानों को तैनात करना पड़ा। अधिकारियों ने बताया कि कांगपोकपी जिले के गामघिपी और अन्य हिस्सों में अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है, और राष्ट्रीय राजमार्ग-2 (इंफाल-दीमापुर रोड) पर वाहनों की निगरानी की जा रही है ताकि कानून व्यवस्था बनी रहे।
कूकी-जो समुदाय और ITLF का समर्थन:
कूकी-जो समुदाय और इन्डिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने कूकी-जो काउंसिल (KZC) द्वारा बुलाए गए इस अनिश्चितकालीन बंद का समर्थन किया है। यह बंद सुरक्षा बलों द्वारा विरोध कर रहे प्रदर्शकारियों पर किए गए कार्रवाई के विरोध में है, जो कि सभी सड़कों पर मीतई लोगों के आवागमन की अनुमति देने के निर्णय के खिलाफ थे। ITLF ने एक बयान में कहा, “कल कूकी-जो क्षेत्रों में मीतई लोगों के आवागमन को अनुमति देने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ था, लेकिन प्रदर्शनकारियों पर गलत कार्रवाई की गई।”
प्रदर्शनकारियों द्वारा सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी और तोड़फोड़:
मणिपुर पुलिस ने भी एक बयान जारी किया, जिसमें बताया गया कि कूकी प्रदर्शकारियों ने सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंके, टायर जलाए और सड़कों को अवरुद्ध करने के लिए पेड़ गिराए, जिसके परिणामस्वरूप 27 सुरक्षा कर्मी घायल हुए। पुलिस ने कहा कि यह हिंसा और पत्थरबाजी की घटनाएं सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रही हैं।
आगे की स्थिति और शांति की अपील:
मणिपुर में हुई इस हिंसा के बाद राज्य सरकार ने शांति बनाए रखने के लिए कदम उठाने की कोशिश की है। मणिपुर पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि अतिरिक्त सुरक्षा बलों को विभिन्न स्थानों पर तैनात किया गया है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है। सरकार ने शांति की अपील की है और सभी नागरिकों से संयम बनाए रखने की अपील की है।
राज्य में बंद का असर:
कूकी-जो काउंसिल (KZC) के आह्वान पर मणिपुर में बंद का असर महसूस किया जा रहा है, विशेष रूप से कूकी-जो समुदाय के बहुल इलाकों में। राज्य के कई हिस्सों में दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद हैं, और परिवहन सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं। ऐसे में राज्य में आम जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। बंद के आह्वान के कारण मणिपुर की प्रशासनिक और सामाजिक व्यवस्था पर भी दबाव बना हुआ है।
मणिपुर में हालिया हिंसा और तनावपूर्ण स्थिति ने राज्य में शांति बहाल करने की चुनौती को बढ़ा दिया है। कूकी-जो समुदाय के प्रदर्शन और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़पें बढ़ने से राज्य में असामान्य स्थिति बन गई है। हालांकि कांगपोकपी जिले में स्थिति शांतिपूर्ण रही, फिर भी राज्य के अन्य हिस्सों में तनाव बना हुआ है। मणिपुर की सरकार और सुरक्षा बलों को इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए और अधिक ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इन घटनाओं के बावजूद राज्य में शांति और सुरक्षा की बहाली के लिए सभी पक्षों को एक साथ आकर प्रयास करने की आवश्यकता है।