UP News: मैनपुरी के दीहुली गांव में 43 साल पहले हुए दलित हत्याकांड में अदालत का फैसला आ चुका है। इस हत्याकांड में 24 दलितों की नृशंस हत्या कर दी गई थी। अब, इस मामले में मैनपुरी की एक अदालत ने तीन आरोपियों को दोषी करार दिया है। यह हत्याकांड 18 नवंबर 1981 को हुआ था, जब एक डकैत गिरोह ने गांव में हमला कर निर्दोष लोगों की हत्या कर दी थी।
तीन दोषियों को कोर्ट ने ठहराया जिम्मेदार
इस मामले में ज़िला सरकारी अधिवक्ता पुष्पेंद्र सिंह चौहान ने जानकारी दी कि विशेष न्यायाधीश इंदिरा सिंह ने मंगलवार को कप्तान सिंह, रामपाल और रामसेवक को दोषी ठहराया। अदालत ने इन तीनों को हत्याकांड में शामिल होने का दोषी पाया और आगामी 18 मार्च को उनकी सजा का ऐलान किया जाएगा।
18 नवंबर 1981 को हुआ था यह वीभत्स हत्याकांड
18 नवंबर 1981 को यह जघन्य अपराध हुआ था, जब संतोष सिंह (उर्फ संतोष) और राधेश्याम (उर्फ राधे) के नेतृत्व में एक डकैत गिरोह ने जसराना थाना क्षेत्र के दीहुली गांव में हमला बोल दिया। यह क्षेत्र उस समय मैनपुरी जिले के अंतर्गत आता था।
गिरोह ने गांव में घुसकर 24 दलितों, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, की गोली मारकर हत्या कर दी और उनके घरों को लूट लिया। इस दर्दनाक घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया था।
13 आरोपियों की मौत, एक अब भी फरार
इस जघन्य अपराध के बाद 19 नवंबर 1981 को स्थानीय निवासी लायक सिंह ने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने मामले की विस्तृत जांच के बाद 17 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
हालांकि, मुकदमे के दौरान 13 आरोपियों की मौत हो गई, जिनमें गिरोह के सरगना संतोष और राधे भी शामिल थे।
शेष चार आरोपियों में से एक अब भी फरार है, जबकि कप्तान सिंह, रामसेवक और रामपाल को अदालत में दोषी साबित किया गया।
इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी ने जताई थी संवेदना
इस हत्याकांड के बाद पूरे देश में आक्रोश फैल गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पीड़ित परिवारों से मिलने दीहुली गांव पहुंची थीं और उनके प्रति संवेदना व्यक्त की थी।
वहीं, तत्कालीन विपक्षी नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इस घटना के प्रति अपना विरोध जताते हुए दीहुली से फिरोजाबाद के सादुपुर तक पदयात्रा की थी।
चार दशक बाद मिला न्याय
इस हत्याकांड के पीड़ित परिवारों को 43 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद न्याय मिला है। हालांकि, इस दौरान अधिकतर आरोपियों की मौत हो चुकी है, लेकिन अदालत ने बचे हुए आरोपियों को दोषी करार देकर न्याय की उम्मीद को कायम रखा है।
मैनपुरी का दीहुली दलित हत्याकांड भारतीय इतिहास की सबसे वीभत्स घटनाओं में से एक था, जिसमें निर्दोष दलितों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। 43 साल के बाद अब दोषियों को सजा मिलने जा रही है। इस फैसले से पीड़ित परिवारों को न्याय की उम्मीद जगी है, हालांकि इतनी देरी से मिला न्याय कहीं न कहीं कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करता है।