दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर से मिले नकद मामले में अब तक विवाद थमा नहीं है। अब आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद Sanjay Singh ने इस मामले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ नोटों के थैले नहीं, बल्कि भारतीय न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है।
संजय सिंह ने ट्विटर पर अपनी टिप्पणी करते हुए कहा, “दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर से मिले नोटों के थैले नहीं, बल्कि भारतीय न्यायपालिका की विश्वसनीयता जल गई है।” उन्होंने आगे कहा, “यह भी चर्चा हो रही है कि इन नोटों के ढेर का एक बड़ा हिस्सा एक सेवानिवृत्त व्यक्ति का है।”
संजय सिंह ने पूछा कि क्या सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में कुछ करेगा और क्या न्यायपालिका इस मुद्दे पर कड़ा एक्शन लेगी ताकि यह दाग खुद पर न लगे?
क्या सुप्रीम कोर्ट करेगा यशवंत वर्मा के मामले में कोई सख्त कार्रवाई?
दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा से जुड़ी इस विवादास्पद घटना में दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश डीके उपाध्याय ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश संजीव खन्ना को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। पीटीआई रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायधीश उपाध्याय ने इस नकद मामले में सबूत और जानकारी इकट्ठा करने के लिए एक इन-हाउस जांच प्रक्रिया शुरू की थी। अब सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम इस रिपोर्ट की जांच करेगा। इसके बाद, इस मामले में आगे की कार्रवाई के बारे में निर्णय लिया जाएगा।
क्या है पूरा मामला?
असल में, यह मामला 14 मार्च 2025 को उस वक्त सुर्खियों में आया, जब दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर में आग लग गई। यह घटना होली की रात करीब 11:35 बजे हुई। आग लगने की सूचना मिलने पर दिल्ली फायर डिपार्टमेंट के दमकलकर्मी मौके पर पहुंचे और आग को बुझाया। दमकलकर्मियों ने दावा किया कि उन्हें एक कमरे में जले हुए नोटों का बड़ा हिस्सा मिला। हालांकि, फायर डिपार्टमेंट द्वारा जारी बयान में इस बात का कोई उल्लेख नहीं किया गया है कि वहां नोट मिले थे।
दिल्ली हाई कोर्ट जज यशवंत वर्मा के घर ये नोटों बोरिया नही भारतीय न्यायपालिका की विश्वसनीयता जल रही है।
चर्चा तो ये भी की इन नोटों के बंडल का बड़ा हिस्सा एक रिटायर हो चुके साहेब का है।
क्या न्यायपालिका इस मामले में सख़्त कार्यवाही करके अपने ऊपर लगे दाग को मिटाने की कोशिश करेगी? pic.twitter.com/E4i4ztylzq— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) March 23, 2025
नकद की आपत्ति क्यों उठी?
इस मामले को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर नकद रकम किसके पास थी और क्यों थी? यह मामला एक गंभीर सवाल खड़ा करता है कि क्या न्यायपालिका का एक महत्वपूर्ण व्यक्ति इस तरह की चीजों में शामिल हो सकता है। संजय सिंह के बयान ने इस विवाद को और अधिक तूल दे दिया है, क्योंकि उन्होंने कहा कि इस मामले से केवल न्यायपालिका की छवि को ही नुकसान नहीं हुआ है, बल्कि यह विश्वास को भी हिलाता है, जो लोगों का न्यायपालिका पर है।
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका क्या होगी?
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा इस मामले की जांच की जाएगी और इसके बाद ही आगे की कार्रवाई का फैसला लिया जाएगा। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या इस मामले में न्यायपालिका खुद पर लगे इस दाग को मिटाने के लिए कुछ कठोर कदम उठाती है, या यह विवाद और बढ़ता रहेगा। यशवंत वर्मा की भूमिका भी इस मामले में अहम होगी, क्योंकि जब तक वह स्पष्ट रूप से इस पर कुछ नहीं बोलेंगे, तब तक यह रहस्य बना रहेगा कि वास्तव में इस मामले के पीछे क्या है।
अखिरकार क्या कदम उठाए जाएंगे?
इस पूरे विवाद से न्यायपालिका के ऊपर सवाल उठने लगे हैं और यह भी देखने की बात होगी कि क्या इस मामले में कुछ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। क्या न्यायपालिका इस घटनाक्रम से खुद को अलग करेगी, या इस पर कठोर कदम उठाएगी? आने वाले समय में इस मामले की सुनवाई और कार्रवाई से यह साफ हो जाएगा कि न्यायपालिका अपनी छवि को बचाने के लिए क्या कदम उठाती है।
यशवंत वर्मा के घर से मिली नकद रकम की घटना ने भारतीय न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले में कई परतें हैं, जिन्हें समझने की आवश्यकता है। अब यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या यह विवाद न्यायपालिका के लिए एक कड़ा इम्तिहान साबित होगा।