Allahabad High Court ने खारिज की केस रद्द करने की याचिका, कहा – समझौता नहीं बचा सकता अपराधियों को!

Allahabad High Court ने खारिज की केस रद्द करने की याचिका, कहा - समझौता नहीं बचा सकता अपराधियों को!

Allahabad High Court ने धर्म परिवर्तन को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि धर्म परिवर्तन केवल तब सही माना जा सकता है जब यह दिल से और अपनी इच्छा से किया गया हो। अगर किसी के साथ धोखे और दबाव के तहत धर्म परिवर्तन कराया जाता है, तो यह गैरकानूनी और गंभीर अपराध है। ऐसे मामलों में, यदि दोनों पक्षों के बीच सहमति हो, तो भी मामले को रद्द नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की बेंच ने इस मामले में स्पष्ट रूप से कहा कि इस्लाम में धर्म परिवर्तन केवल तब ही वास्तविक माना जा सकता है जब एक वयस्क व्यक्ति अपने दिल से, सच्ची श्रद्धा के साथ, और बिना किसी बाहरी दबाव के इसे स्वीकार करता है।

धर्म परिवर्तन का उद्देश्य सच्ची आस्था होना चाहिए

कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति को सच्ची श्रद्धा से अपना दिल अल्लाह के प्रति समर्पित करना चाहिए और पैगंबर मोहम्मद (सल्ल.) के सिद्धांतों पर विश्वास रखना चाहिए। केवल इस तरह के बदलाव को सच्चा धर्म परिवर्तन माना जा सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि किसी के द्वारा धोखे या बलात्कार के नाम पर धर्म परिवर्तन कराया गया है, तो इसे कानूनी राहत नहीं मिल सकती। अदालत ने इसे गंभीर अपराध माना और आरोपियों की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि महिला का शरीर उसका मंदिर है, और उसकी पवित्रता को किसी भी हालत में नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है।

Allahabad High Court ने खारिज की केस रद्द करने की याचिका, कहा - समझौता नहीं बचा सकता अपराधियों को!

रैम्पुर केस में कोर्ट का सख्त रुख

यह मामला रैम्पुर के स्वार पुलिस थाना क्षेत्र से जुड़ा था, जहां तौफीक और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ धर्म परिवर्तन और बलात्कार का आरोप लगाया गया था। आरोप के मुताबिक, तौफीक के बहनोई मोहम्मद आयान ने फेसबुक पर ‘राहुल’ नाम से एक फर्जी आईडी बनाई और उसी के जरिए लड़की को प्रेम जाल में फंसाया। इसके बाद, उसने लड़की से शारीरिक संबंध बनाए और बाद में पता चला कि राहुल असल में आयान था। इस मामले में तौफीक, आयान और रियाज के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने आरोप पत्र भी दायर किया है।

कोर्ट ने समझौते को खारिज किया

इस मामले में, आरोपी तौफीक ने अपनी याचिका में यह दावा किया कि लड़की ने अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन किया था और उसने किसी के प्रभाव में आकर एफआईआर दर्ज कराई थी। लड़की ने भी अदालत से यह अपील की थी कि मामले की आपराधिक प्रक्रिया को रद्द किया जाए, क्योंकि वह आरोपी के साथ रह रही थी। हालांकि, कोर्ट ने इस समझौते को अस्वीकार कर दिया और कहा कि इस तरह के मामलों में समझौता करना असंभव है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धर्म परिवर्तन विवाह के आधार पर या उससे बचने के उद्देश्य से किया गया था, जो सच्ची आस्था नहीं मानी जा सकती।