Donald Trump का ट्विस्ट: अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड ल्यूटनिक ने हाल ही में घोषणा की कि अगले दो महीनों के भीतर स्मार्टफोन, कंप्यूटर, सेमीकंडक्टर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर नए टैरिफ लगाए जाएंगे। यह निर्णय ट्रम्प प्रशासन द्वारा पहले की गई घोषणा के बाद आया है जिसमें कहा गया था कि स्मार्टफोन, लैपटॉप और कंप्यूटर सहित कई इलेक्ट्रॉनिक सामान पारस्परिक टैरिफ से मुक्त होंगे। यह निर्णय उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला को प्रभावित करता है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में तकनीकी कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
जबकि नए टैरिफ क्षितिज पर हैं, लुटनिक की टिप्पणियाँ ट्रम्प प्रशासन के दृष्टिकोण में बदलाव का प्रतिनिधित्व करती हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका चीन से बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक सामान आयात करता है, और नए निर्णय से चीन को इन उत्पादों पर 125 प्रतिशत के पारस्परिक शुल्क से छूट मिलेगी। इस कदम को अमेरिका और चीन के बीच व्यापार नीतियों, विशेष रूप से तकनीकी क्षेत्र में बढ़ते तनाव की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है। आसन्न टैरिफ के बावजूद, चीन को इलेक्ट्रॉनिक आयात पर इन नए शुल्कों का पूरा बोझ नहीं उठाना पड़ेगा।
एप्पल और डेल जैसी टेक कंपनियों को राहत
इस घोषणा से एप्पल और डेल जैसी प्रमुख टेक कंपनियों को राहत मिली है, जो चीन से आयात पर बहुत अधिक निर्भर हैं। इन कंपनियों को डर था कि उच्च टैरिफ लगाए जाने से उनके संचालन और लागत पर काफी असर पड़ेगा। नई घोषणा के साथ, वे इन टैरिफ के संभावित वित्तीय बोझ से बच गए हैं। टैरिफ योजनाओं में यह बदलाव, विशेष रूप से प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के संबंध में, ट्रम्प प्रशासन की रणनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है, जो टेक उद्योग में कुछ हद तक स्थिरता लाता है।
वैश्विक वित्तीय प्रभाव और भविष्य की योजनाएँ
अमेरिका की टैरिफ रणनीति में बदलाव का वैश्विक वित्तीय बाजारों पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा है, जिससे अनिश्चितता और अस्थिरता पैदा हुई है। अपनी टिप्पणियों में, ल्यूटनिक ने खुलासा किया कि ट्रम्प का प्रशासन इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर पर एक विशेष प्रकार का टैरिफ लगाने की तैयारी कर रहा है। यह कदम, जो एक या दो महीने के भीतर अपेक्षित है, फार्मास्यूटिकल्स पर भी लागू होगा। ये टैरिफ पहले घोषित पारस्परिक टैरिफ से अलग होंगे, जिससे अमेरिका की व्यापार नीतियों की जटिलता बढ़ेगी। जैसा कि वैश्विक बाजार बारीकी से देख रहा है, आने वाले बदलावों का घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों उद्योगों पर दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है।