Rahul Gandhi की पदयात्रा से एक शक्तिशाली नारा: “नफ़रत के बाज़ार में मोहब्बत की दुकान”

Rahul Gandhi की पदयात्रा से एक शक्तिशाली नारा: "नफ़रत के बाज़ार में मोहब्बत की दुकान"

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता Rahul Gandhi ने शनिवार को हैदराबाद में आयोजित इंडिया समिट 2025 में भाजपा पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि आज के राजनीतिक माहौल में मुख्य उद्देश्य विपक्ष को दबाना और मीडिया को कमजोर करना है। राहुल गांधी ने भाजपा और संघ की राजनीति को नफरत, डर और गुस्से से भरी हुई बताया, जो समाज में नफरत और हिंसा को बढ़ावा देती है। इसके विपरीत, उन्होंने कांग्रेस की राजनीति को प्यार, स्नेह और लोगों की इच्छाओं को समझने वाली राजनीति बताया।

नई राजनीति की जरूरत

राहुल गांधी ने कहा कि आज लोकतांत्रिक राजनीति में एक बुनियादी बदलाव आ चुका है। उन्होंने बताया कि दस साल पहले जो राजनीतिक रणनीतियाँ कारगर थीं, वे अब प्रभावी नहीं हैं। अब मीडिया, सोशल मीडिया और पूंजी का एक नया तरीका सामने आ चुका है, जो पारंपरिक राजनीतिज्ञों के लिए चुनौती बन गया है। राहुल गांधी ने इसे “नई राजनीति” के रूप में स्वीकार किया और इस बदलाव के लिए एक नए प्रकार के नेता की आवश्यकता को बताया। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए एक बड़ा चुनौती है।

पदयात्रा से मिली सीखें

राहुल गांधी ने अपनी कानीयाकुमारी से कश्मीर तक की 4,000 किलोमीटर लंबी पदयात्रा को भी याद किया, जो कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण अनुभव था। उन्होंने कहा कि यह यात्रा आसान नहीं थी, लेकिन एक बार शुरू करने के बाद इसने उन्हें कई महत्वपूर्ण पाठ सिखाए। उन्होंने बताया कि इस यात्रा के दौरान उन्होंने सीखा कि हमारे विरोधियों के पास नफरत और गुस्से की एकाधिकार है, और हम इन भावनाओं पर उनसे प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते। इस यात्रा से यह भी समझ आया कि हमें कौन से स्थानों पर काम करना चाहिए और कहां हम एक नया दृष्टिकोण बना सकते हैं।

कांग्रेस की राजनीति: सच्चाई और प्यार का संदेश

राहुल गांधी ने कहा कि इस यात्रा के दौरान सबसे बड़ी बात यह थी कि उन्होंने लोगों की बातें सुननी शुरू की। पहले वह केवल बोलते थे, लेकिन यात्रा के दौरान उन्होंने पूरी तरह से चुप रहकर लोगों की बातें सुनी। उन्होंने बताया कि राजनीति में अगर कुछ बड़ा करने की चाहत है, तो हमें लोगों की आवाज़ को गहराई से सुनना होगा। राहुल गांधी ने इस यात्रा से एक महत्वपूर्ण नारा भी दिया: “नफ़रत के बाज़ार में, मोहब्बत की दुकान खोल रहा हूँ”। यह विचार कि प्यार और स्नेह नफरत को हराकर राजनीति में बदलाव ला सकते हैं, कांग्रेस की राजनीति के लिए एक नया रास्ता हो सकता है।