Delhi News: दिल्ली की सड़कों चौराहों बसों ट्रेनों और मेट्रो में खुद को किन्नर बताकर पैसे वसूलने का खेल अब संगठित धंधा बनता जा रहा है। ताज़ा मामलों में खुलासा हुआ है कि इस काम को बांग्लादेशी नागरिक भी बड़े पैमाने पर अंजाम दे रहे हैं। ये लोग न सिर्फ नकली पहचान के ज़रिए खुद को किन्नर बताकर लोगों से जबरन पैसे ऐंठते हैं बल्कि कई बार बदसलूकी और मारपीट तक कर बैठते हैं। खास बात ये है कि अब ये लोग पहचान छुपाने के लिए सर्जरी और हार्मोनल इलाज तक करवा रहे हैं ताकि समाज और कानून को धोखा दे सकें। इससे असली किन्नर समुदाय की छवि भी धूमिल हो रही है और लोगों में उनके प्रति अविश्वास का माहौल बनता जा रहा है।
बांग्लादेशी नागरिकों की बड़ी भूमिका और पुलिस की सख्ती
दिल्ली पुलिस के अनुसार ये चुनौती इतनी गंभीर हो गई है कि इस पर काबू पाने के लिए एक विशेष जांच दल यानी एसआईटी का गठन किया गया है। 2025 में दो बांग्लादेशी नागरिकों को महिपालपुर से गिरफ्तार किया गया जो नकली किन्नर बनकर अवैध रूप से पैसे वसूल रहे थे। उनके पास से फर्जी आधार कार्ड और पैन कार्ड बरामद हुए। पूछताछ में पता चला कि उन्होंने पहचान छुपाने के लिए हार्मोनल ट्रीटमेंट और सर्जरी करवाई थी। पुलिस ने इन्हें फॉरेनर्स एक्ट के तहत डिपोर्टेशन सेंटर भेज दिया। इसके साथ ही ट्रैफिक सिग्नल्स और भीड़भाड़ वाले इलाकों में निगरानी बढ़ा दी गई है ताकि ऐसे मामलों पर समय रहते कार्रवाई हो सके।
दिल्ली मेट्रो और रेलवे में भी ऐसे गिरोह सक्रिय
नकली किन्नरों की ये गतिविधियां सिर्फ सड़कों तक ही सीमित नहीं हैं। दिल्ली मेट्रो और रेलवे स्टेशनों पर भी ये गिरोह सक्रिय हैं। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने 2023 में सीआईएसएफ और पुलिस की फ्लाइंग स्क्वॉड तैनात की ताकि मेट्रो में हो रही अश्लीलता और ज़बरदस्ती से पैसे वसूली रोकी जा सके। 2021 में किशनगढ़ से तीन लोगों को किन्नर बनकर लूटपाट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 2022 में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक ट्वीट के बाद पुलिस ने एक पूरे गिरोह का भंडाफोड़ किया जिसमें कई लोग किन्नर के भेष में चोरी और वसूली कर रहे थे। 2023 में एक मेट्रो वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक नकली किन्नर यात्रियों से पैसे मांगता दिखा।
छवि पर असर और कानूनी चुनौती
ऐसे नकली किन्नरों की हरकतें ना सिर्फ आम लोगों को परेशान करती हैं बल्कि समाज में किन्नर समुदाय को लेकर बनी सकारात्मक सोच को भी नुकसान पहुंचाती हैं। कई बार असली किन्नरों को भी शक की नजर से देखा जाने लगा है। ये न सिर्फ सामाजिक दृष्टिकोण को बिगाड़ रहा है बल्कि पुलिस और कानून व्यवस्था के लिए भी चुनौती बनता जा रहा है। 2025 में महिपालपुर और जहांगीरपुरी से छह बांग्लादेशी नकली किन्नरों को पकड़ा गया जो फर्जी दस्तावेजों के साथ दिल्ली में रहकर वसूली कर रहे थे। दिल्ली पुलिस और सामाजिक कल्याण विभाग समय-समय पर मिलकर इन मामलों में कार्रवाई करते हैं लेकिन इस संगठित गिरोह पर लगाम लगाने के लिए लगातार और कठोर कदमों की जरूरत है।