दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता Manish Sisodia ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीज़फायर को लेकर कई गंभीर सवाल पूछे हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एक आतंकवादी देश है जिसके खिलाफ पूरा देश एकजुट होकर खड़ा है तो फिर अचानक सीज़फायर क्यों किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि देशवासियों के मन में अब बहुत सारे सवाल उठ रहे हैं जिनका जवाब मोदी सरकार को देना चाहिए। सिसोदिया ने यह बयान तब दिया जब भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान के आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब दिया और फिर सरकार ने अचानक युद्धविराम की घोषणा कर दी।
पहल्गाम हमले की याद और पाकिस्तान की मिन्नतें
Manish Sisodia ने कहा कि जब पाकिस्तान के आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हमला किया था और हमारी बहनें folded hands में विनती कर रही थीं कि उनका सिंदूर न छीना जाए तो उन आतंकियों ने कोई दया नहीं दिखाई। लेकिन जब भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के ज़रिए आतंकियों पर करारा प्रहार किया और उनके ठिकाने तबाह कर दिए तब पाकिस्तान ने मिन्नतें शुरू कर दीं। उन्होंने सवाल किया कि जब पाकिस्तान ने हाथ जोड़कर रहम की भीख मांगी तब प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों मान लिया। सिसोदिया का कहना है कि अगर दुश्मन ने दया नहीं दिखाई तो भारत को भी दया नहीं दिखानी चाहिए।
AAP Senior Leader @msisodia Ji Addressing an Important Press Conference l LIVE https://t.co/fUPnpjXvN9
— AAP (@AamAadmiParty) May 13, 2025
1971 की तरह क्यों नहीं हुआ लिखित समझौता
सिसोदिया ने आगे कहा कि अगर पाकिस्तान वाकई हाथ जोड़कर रहम मांग रहा था तो उसकी बातों पर क्यों यकीन कर लिया गया। उन्होंने पूछा कि क्या पीएम मोदी को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को बुलाकर वैसा ही कोई लिखित समझौता नहीं करना चाहिए था जैसा 1971 में हुआ था। सिसोदिया का कहना है कि एक तरफ तो पाकिस्तान आतंकियों को भेजकर निर्दोष लोगों की जान लेता है और दूसरी तरफ माफी मांगकर फिर से पीछे हटने की कोशिश करता है। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार को नहीं सोचना चाहिए था कि इसके बाद पीड़ितों को न्याय कैसे मिलेगा।
भारतीय सेना की तारीफ और जनता की नाराज़गी
इस दौरान मनीष सिसोदिया ने भारतीय सेना की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि हमारी सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंकियों को सबक सिखाया और उनके ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। देशभर के लोग सेना के साथ खड़े रहे और सरकार को भी पूरा समर्थन दिया गया लेकिन अचानक युद्धविराम की घोषणा ने लोगों को चौंका दिया। उन्होंने कहा कि अब सवाल यह है कि क्या देशवासियों और पहलगाम हमले के पीड़ितों को कभी न्याय मिलेगा या नहीं। सिसोदिया ने दोहराया कि सरकार को इन सवालों के जवाब देने चाहिए क्योंकि यह सिर्फ राजनीति का नहीं बल्कि देश की सुरक्षा और सम्मान का मामला है।