South Korea New President: दक्षिण कोरिया की राजनीति में एक बड़ा बदलाव हुआ है। अब ली जे-म्युंग ने देश के नए राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाल लिया है। वे एक प्रगतिशील नेता माने जाते हैं जो आम लोगों के मुद्दों पर खुलकर बात करते हैं। लेकिन उनके सामने कई बड़ी और कठिन चुनौतियाँ खड़ी हैं। उन्होंने राष्ट्रपति बनने के बाद अपने पहले भाषण में स्पष्ट किया कि वे देश की एकता और विकास के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।
उत्तर कोरिया से रिश्तों पर रहेगी नज़र
दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। उत्तर कोरिया की मिसाइल परीक्षण और परमाणु कार्यक्रम को लेकर चिंताएं लगातार बनी हुई हैं। ऐसे में ली जे-म्युंग के लिए एक बड़ा काम यह होगा कि वे देश की सुरक्षा से समझौता किए बिना उत्तर कोरिया के साथ बातचीत के रास्ते खुले रखें। उन्होंने संकेत दिया है कि वह उत्तर कोरिया के साथ संवाद फिर से शुरू करने के पक्षधर हैं जिससे रिश्तों में कुछ नरमी लाई जा सके।
अमेरिका-चीन के बीच संतुलन बनाना होगा मुश्किल
दक्षिण कोरिया की विदेश नीति का एक अहम पहलू अमेरिका और चीन के साथ उसके संबंध हैं। अमेरिका उसका पारंपरिक सहयोगी है जबकि चीन सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार। आज की वैश्विक राजनीति में जब अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है तब ली जे-म्युंग को कूटनीतिक चतुराई दिखानी होगी। वे एक ओर अमेरिका और जापान के साथ त्रिपक्षीय साझेदारी को मज़बूत करने की बात कर रहे हैं वहीं चीन के साथ भी व्यापारिक हितों को सुरक्षित रखना जरूरी है।
आम जनता की परेशानियाँ और आंतरिक चुनौतियाँ
ली जे-म्युंग के सामने सिर्फ विदेश नीति नहीं बल्कि घरेलू मोर्चे पर भी कई जटिलताएं हैं। देश में बेरोज़गारी एक बड़ी समस्या बनी हुई है खासकर युवाओं के लिए। इसके साथ ही आर्थिक असमानता बढ़ रही है जिससे गरीब और मध्यम वर्ग की स्थिति कमजोर हो रही है। ली को ऐसे नीतियाँ बनानी होंगी जो नौकरी के अवसर बढ़ाएं और समाज में आर्थिक संतुलन लाएं। वहीं घरों की कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी ने आम लोगों के लिए घर खरीदना सपना बना दिया है। ली को इस दिशा में भी ठोस कदम उठाने होंगे।
भविष्य की राह आसान नहीं होगी
ली जे-म्युंग को पारदर्शी प्रशासन और जनविश्वास की बहाली के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। दक्षिण कोरिया में कई पूर्व राष्ट्रपतियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं और कुछ को जेल भी हुई है। ऐसे में जनता ली से ईमानदारी और निष्पक्ष शासन की उम्मीद कर रही है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन, राजनैतिक ध्रुवीकरण और सेना के ज़रिए तख्तापलट जैसी आशंकाओं से निपटना भी उनके लिए आसान नहीं होगा। ली ने साफ किया है कि वे किसी भी हालत में लोकतंत्र को आघात नहीं पहुंचने देंगे और दक्षिण कोरिया को एकजुट करके आगे ले जाएंगे।