Delhi News: एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) ने आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ एक भ्रष्टाचार मामले में केस दर्ज किया है। यह मामला सरकारी स्कूलों में कक्षाओं के निर्माण में कथित घोटाले से जुड़ा है। एसीबी के अनुसार, यह घोटाला लगभग 2000 करोड़ रुपये का है, जो दिल्ली सरकार के कार्यकाल में 12,748 कक्षाओं और संबंधित भवनों के निर्माण से जुड़ा है। एसीबी ने यह मामला उस समय दर्ज किया जब उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17-ए के तहत सक्षम प्राधिकरण से मंजूरी मिल गई थी। एसीबी ने यह भी बताया कि पूरे प्रोजेक्ट में गंभीर अनियमितताएँ और लागत में बढ़ोतरी देखी गई। एसीबी का कहना है कि “कोई भी काम समय सीमा के भीतर पूरा नहीं हुआ।”
क्या थे आरोप?
मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पर आरोप है कि उन्होंने कक्षाओं के निर्माण में तय लागत से 5 गुना अधिक पैसे खर्च किए। इसके अलावा, उन्होंने 34 ठेकेदारों को काम दिया, जिनमें से अधिकांश ठेकेदार आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए थे। आरोप है कि सिसोदिया और जैन ने CVC की रिपोर्ट को 3 साल तक दबाए रखा और कार्यों को समय पर पूरा नहीं किया। इस परियोजना को जून 2016 तक पूरा किया जाना था, लेकिन न तो काम समय पर हुआ और न ही लागत को नियंत्रित किया गया। इसके अलावा, इन नेताओं पर आरोप है कि उन्होंने मूल अनुबंध की लागत को अत्यधिक बढ़ा दिया।
दूसरे भ्रष्टाचार मामलों में भी जांच जारी
मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पहले से ही अलग-अलग भ्रष्टाचार मामलों में जांच का सामना कर रहे हैं। मनीष सिसोदिया दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े मामलों में सीबीआई और ईडी की जांच के दायरे में हैं, जबकि सत्येंद्र जैन को पहले मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है। दोनों नेताओं की बढ़ती समस्याएं और जांच की प्रक्रिया अब इस नए घोटाले के साथ और भी जटिल हो गई हैं। अब तक मामले के बारे में ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन इस मामले की जांच एसीबी की ओर से जारी है।
क्या यह घोटाला दिल्ली सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाएगा?
यह भ्रष्टाचार मामला दिल्ली सरकार के लिए एक बड़ा झटका बन सकता है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी का दावा था कि वे दिल्ली में पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार चला रहे हैं, लेकिन अब इस घोटाले ने उनकी छवि को सवालों के घेरे में डाल दिया है। अगर यह आरोप साबित होते हैं तो इससे पार्टी की विश्वसनीयता को बड़ा नुकसान हो सकता है। दिल्ली सरकार के शिक्षा क्षेत्र में सुधारों का वादा करते हुए कक्षाओं के निर्माण के इस घोटाले ने उनकी नीयत और कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।