Manimahesh Kailash: मनिमहेश कैलाश हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले में स्थित एक पवित्र पर्वत है। इसे पंच कैलाश में से एक माना जाता है और हर साल भगवान शिव के भक्त यहाँ दर्शन करने आते हैं। मनिमहेश कैलाश के पास एक झील भी स्थित है, जो मानसरोवर झील के समान है। इस झील का नाम मनिमहेश झील है, जो समुद्र तल से लगभग 4000 मीटर ऊँचाई पर स्थित है। वहीं, मनिमहेश कैलाश की ऊँचाई 5486 मीटर है। इसे भगवान शिव द्वारा माता पार्वती से विवाह से पहले बनाया गया माना जाता है।
हर साल हजारों शिव भक्त मनिमहेश कैलाश की यात्रा पर जाते हैं। यह यात्रा भर्मौर से शुरू होती है, जहां से श्रद्धालुओं को लगभग 13 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है। यह यात्रा हर साल भाद्रपद माह में प्रारंभ होती है, और 2025 में यह यात्रा 26 अगस्त से शुरू होगी। श्रद्धालु इस यात्रा को श्रद्धा और भक्ति से पूरा करते हैं और यात्रा के दौरान भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
धार्मिक मान्यताएँ और रहस्य
मनिमहेश कैलाश के बारे में कई धार्मिक मान्यताएँ प्रचलित हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव और माता पार्वती अक्सर इस पर्वत पर भ्रमण करते हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि मनिमहेश कैलाश की चोटी पर कोई भी नहीं पहुंच पाया है। एक बार Indo-Japan की एक टीम ने इस पर्वत पर चढ़ाई करने का प्रयास किया, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए। कहा जाता है कि मनिमहेश पर्वत की चोटी पर चढ़ाई केवल भगवान शिव की इच्छा से ही संभव है। स्थानीय किंवदंती के अनुसार, एक व्यक्ति जो गद्दी समुदाय से था, अपनी भेड़ों के साथ इस पर्वत की चोटी पर चढ़ने का प्रयास किया था, लेकिन वह चढ़ाई पूरी नहीं कर पाया और रास्ते में वह और उसकी भेड़ें पत्थर में बदल गए। स्थानीय लोग मानते हैं कि मनिमहेश पर्वत के नीचे जो छोटी चोटियाँ हैं, वे उस व्यक्ति और उसकी भेड़ों के पत्थर में बदलने से बनी हैं।
मनिमहेश झील और स्थानीय संस्कृति
मनिमहेश झील के किनारे भगवान शिव की एक संगमरमर की मूर्ति स्थित है। यहाँ आने वाले भक्त इस मूर्ति की पूजा करते हैं। जैसे मानसरोवर झील में भक्त स्नान करते हैं, वैसे ही मनिमहेश झील में भी श्रद्धालु स्नान करते हैं और उसके बाद झील का परिक्रमा करते हैं। मनिमहेश झील के पास दो पवित्र स्थान भी हैं, जिन्हें गौरी कुंड और शिव क्रोत्री कहा जाता है। मान्यता है कि माता पार्वती गौरी कुंड में स्नान करती हैं और भगवान शिव शिव क्रोत्री में स्नान करते हैं। इस कारण महिलाएँ गौरी कुंड में और पुरुष शिव क्रोत्री में स्नान करते हैं।
मनिमहेश का नाम “मणिमहेश” भगवान शिव के मुकुट के मणि से लिया गया है। धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा की रात जब मणि से निकलने वाली किरणें मनिमहेश झील में converge होती हैं, तो यह दृश्य अत्यंत आकर्षक होता है। हालांकि वैज्ञानिक मानते हैं कि यह घटना मणि से नहीं, बल्कि हिमनदों से पड़ने वाली रौशनी के कारण होती है।
स्थानीय गद्दी समुदाय के लिए मनिमहेश कैलाश विशेष महत्व रखता है। गद्दी समुदाय के लोग भगवान शिव को अपना इष्ट देव मानते हैं और इस स्थान को शिव भूमि कहते हैं। स्थानीय मान्यता के अनुसार, भगवान शिव भस्मासुर से बचने के लिए यहाँ के धनछो झरने के पास एक गुफा में छुपे थे, जहाँ बाद में भगवान विष्णु ने भस्मासुर का वध किया।